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तंत्र के गण :: गरीबों के हक के प्रहरी हैं डीके सिंह

कमलेश शर्मा, बदायूं : राशन वितरण प्रणाली में तमाम खामियां कोटेदारों से लेकर माफिया तक खा

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:38 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:38 AM (IST)
तंत्र के गण :: गरीबों के हक के प्रहरी हैं डीके सिंह
तंत्र के गण :: गरीबों के हक के प्रहरी हैं डीके सिंह

कमलेश शर्मा, बदायूं : राशन वितरण प्रणाली में तमाम खामियां कोटेदारों से लेकर माफिया तक खाद्यान्न की कालाबाजारी और घोटाले का बड़ा जरिया रही हैं। हर जिले में। बदायूं भी इससे अछूता नहीं था। कोटेदार के राशन नहीं बांटने। दुकान बंद रखने। पात्र कार्डधारकों का राशन गोल कर देने की ढेरों शिकायतें रोजाना कलेक्ट्रेट में पहुंचती थीं। जिले में बतौर डीएम नियुक्ति के बाद आइएएस दिनेश कुमार सिंह के सामने भी ऐसी शिकायतें आई। उन्होंने सुधार का बीड़ा उठाया। अधिकारियों की निगरानी में राशन वितरण शुरू कराया तो कालाबाजारी नौ दो ग्यारह हो गई। राशन वितरण का बदायूं मॉडल प्रदेश ही नहीं केंद्र सरकार तक सराहा गया।

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ऐसे लाए बदलाव

दिनेश कुमार सिंह ने सबसे पहले राशन दुकानों की संबद्धीकरण खत्म कराया। वितरण से पहले गोदामों से वीडियोग्राफी के साक्ष्य के साथ खाद्यान्न व तेल के उठान शुरू कराई। वह भी जिलास्तरीय अधिकारियों की निगरानी के साथ। वही राशन कोटेदार के गोदाम या दुकान पर पहुंचने का सत्यापन कराया। इससे रास्ते में ही माल किसी दूसरे ठिकाने या बाजार पहुंचने पर रोक लग सकी। वितरण के दिन हर दुकान पर पर्यवेक्षण अधिकारी की नियुक्ति कर उनकी निगरानी में कार्डधारकों को राशन का वितरण शुरू कराया। इससे दो फायदे हुए। हर पात्र व्यक्ति को राशन मिला, साथ ही वितरण में बचे खाद्यान्न का लेखा-जोखा प्रशासन की नजर में आने लगा। माफिया के विरोध से न डिगे, नजीर बना जिला

अपने जमे-जमाए कमाई के धंधे पर रोक लगने पर राशन माफिया और सफेदपोश तिलमिलाए। विरोध किया और शासन तक भी शिकायतें भेजीं। डीएम के इरादे न डिगे। आखिर, इसी वितरण व्यवस्था को मुख्य सचिव और शासन ने भी बेहतर और अन्य जिलों के लिए अनुकरणीय बताया। प्रदेश में नजीर बना बदायूं मॉडल। अब संपन्न व्यक्तियों के कार्ड समर्पित कराने की मुहिम शुरू की है।

इनसेट ::

काशी की तर्ज पर कछला में गंगा आरती

पवित्र नदी गंगा के किनारे पर बसे बदायूं में नदी की आस्था और मान्यता दोनों ही हैं। कछला घाट पर स्नान पर्वो पर लाखों श्रद्धालु भी जुटते हैं, लेकिन महाआरती नहीं होती थी। डीएम ने काशी की तर्ज पर कछला में महाआरती की पहल की। स्वयं वाराणसी से आचार्यो को आमंत्रित कर स्थानीय पुजारियों की पूजन व आरती विधि की जानकारी उपलब्ध करवाई। इससे जिले में पर्यटन केंद्र बनाने की राह भी खुली है।


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