झोलाछाप के इलाज से बच्चे की मौत
एक झोलाछाप के इलाज से सोमवार शाम बच्चे की मौत हो गई। पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया है।
जागरण संवाददाता, बदायूं : एक झोलाछाप के इलाज से सोमवार शाम बच्चे की मौत हो गई। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेज दिया। इधर, जिला अस्पताल प्रशासन ने उसका शव अपनी मोर्चरी में रखने से इन्कार कर दिया। वहीं पोस्टमार्टम हाउस की मोर्चरी पर चौकीदार ताला डालकर कहीं चला गया। देर रात तक शव मोर्चरी में नहीं रखा गया था।
मूसाझाग इलाके के गांव मौसमपुर निवासी कुंवरपाल के बेटे विपिन (4) को बुखार आया था। परिजनों ने गावं के ही झोलाछाप से इसका इलाज कराया था। सोमवार शाम बच्चे ने दम तोड़ दिया। इधर, झोलाछाप दुकान बंद करके वहां से भाग निकला। पुलिस बच्चे के घर पहुंची और शव कब्जे में ले लिया। इधर, रात को शव लेकर पुलिसकर्मी पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो वहां ताला पड़ा हुआ था। इस पर शव को जिला अस्पताल लाया गया। यहां प्रभारी सीएमएस डॉ. यूवी सिंह ने शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखने से इंकार किया था। सीएमएस का कहना था कि अस्पताल की मोर्चरी में केवल एक ही फ्रीजर है, अगर अस्पताल में किसी मरीज की मौत होती है तो वो शव वहां रखा जाता है। पोस्टमार्टम हाउस की मोर्चरी पर आठ फ्रीजर लगे हैं लेकिन वहां व्यवस्थाएं ध्वस्त हैं। अगर बच्चे का शव रखवा दिया और अस्पताल में मौत हुई तो शव कहां ले जाएंगे। हालांकि बाद में मामला सुलटा और प्रभारी सीएमएस ने सिपाहियों से पंचायतनामे के साथ ही लिखित में शव अपनी जिम्मेदारी पर रखने की बात देने को कहा। वर्जन ::
अस्पताल में शव रखने की ज्यादा जगह नहीं है। सीएमओ स्तर से पोस्टमार्टम हाउस पर शव रखवाया जाना चाहिए। मृतक के साथ सभी की संवेदनाएं जुड़ी होती हैं। पंचायतनामा और सिपाहियों के लिखित पत्र के आधार पर अनुमति दे देंगे लेकिन व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
- डॉ. यूवी सिंह, प्रभारी सीएमएस