शादी में जयमाल होने के कार्यक्रम से पहले दुल्हन के पिता की मौत
लाल जोड़े में सजी-धजी दुल्हन शनिवार रात कमरे में बैठी थी। बरात दरवाजे तक पहुंच चुकी थी।
बदायूं : लाल जोड़े में सजी-धजी दुल्हन शनिवार रात कमरे में बैठी थी। बरात दरवाजे तक पहुंच चुकी थी। हर एक शख्स नाचते-गाते खुशी से झूम रहा था लेकिन अचानक कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि कुछ देर में ही खुशियां ताउम्र न भूलने वाले गम में बदल गई। दुल्हन के पिता को अचानक दिल का दौरा पड़ा और बरेली ले जाते वक्त रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। यहां कुछ रिश्तेदार-परिचितों ने शादी की रस्में पूरी कराने के लिए बेटी को यह आभास नहीं होने दिया कि पिता की मौत हो गई। औपचारिक भर रस्में निभाई और बेटी को विदा किया। इसके बाद रविवार को गमगीन माहौल में पिता की अंत्येष्टि की गई।
शहर के मुहल्ला सैय्यदबाड़ा निवासी संजय शर्मा पुरोहित थे। श्रीरामनगर कालोनी स्थित मंदिर पर वह रहकर प्रभु की सेवा करते थे। उनकी बेटी भव्या की शादी उझानी निवासी डॉ. संजीव के बेटे कुश के साथ तय हुई थी। शनिवार को बरात यहां पहुंची और रिश्तेदारों समेत परिचितों के जमावड़े के बीच पूरा परिवार खुशियां मना रहा था। रात करीब 10 बजे संजय के सीने में तेज दर्द उठा तो कुछ रिश्तेदार उन्हें सीधे बरेली ले जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उनकी सांसें थम गईं। अड़ी बेटी तो एक रिश्तेदार ने पिता की आवाज में की फोन पर बात
- भव्या को जब पता लगा कि पिता की हालत अचानक बिगड़ी है तो उसे अनहोनी की आशंका सताने लगी। उसने स्पष्ट कह दिया कि पहले पिता से बात कराओ, तभी जयमाल की रस्म अदा करेगी। रिश्तेदारों ने समझाया कि पिता अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन वह फोन पर बात करने पर अड़ गई। किसी अन्य रिश्तेदार ने धीमी आवाज में पिता बनकर फोन पर बात की और खुद को सही बताया तो अन्य रस्में पूरी हुईं। बोले बराती, खुशियां बांटने आए थे, मलाल लेकर लौट रहे
रविवार को शहर के श्मशान घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई। शादी समारोह में शामिल होने आए मेहमान उनकी मौत का मलाल लेकर अंत्येष्टि में शामिल हुए। वहीं आसपास के तमाम लोगों समेत शहर के गणमान्य लोग भी उनकी शवयात्रा में शामिल हुए।