गरजी जेसीबी, 87 एकड़ पर दिलाया कब्जा
आवास विकास और नगला गांव के किसानों के बीच पिछले 28 वर्षों से चल रहे भूमि विवाद का मामला सुलझ गया। पुलिस और पीएसी के घेरे में जेसीबी और ट्रैक्टर चलवाकर अधिग्रहित किसानों की 87.60 एकड़ जमीन पर आवास विकास को कब्जा दिलवाया गया। एसपी सिटी और एडीएम प्रशासन के नेतृत्व में घंटों कार्रवाई चली। परिषद के बरेली और बदायूं समेत मंडल के चारों जिलों के अधिकारी भी मौजूद रहे। इस दौरान कुछ किसानों ने विरोध भी किया लेकिन उनकी एक नहीं चलने दी गई। इससे आवास विकास के दूसरे फेज का रास्ता अब साफ हो गया है।
जागरण संवाददाता, बदायूं : आवास विकास और नगला गांव के किसानों के बीच पिछले 28 वर्षों से चल रहे भूमि विवाद का मामला सुलझ गया। पुलिस और पीएसी के घेरे में जेसीबी और ट्रैक्टर चलवाकर अधिग्रहित किसानों की 87.60 एकड़ जमीन पर आवास विकास को कब्जा दिलवाया गया। एसपी सिटी और एडीएम प्रशासन के नेतृत्व में घंटों कार्रवाई चली। परिषद के बरेली और बदायूं समेत मंडल के चारों जिलों के अधिकारी भी मौजूद रहे। इस दौरान कुछ किसानों ने विरोध भी किया, लेकिन उनकी एक नहीं चलने दी गई। इससे आवास विकास के दूसरे फेज का रास्ता अब साफ हो गया है। यह प्रकरण वर्ष 1989 से चला आ रहा है। उस समय आवास विकास ने किसानों की 135.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण 65 हजार बीघे के हिसाब से किया गया था। 48 एकड़ जमीन पर उस समय फेज वन में आवासों का निर्माण हो गया, 87.60 एकड़ जमीन सरप्लस होने से वैसे ही पड़ी रही, जिस पर किसान खेती करते रहे। समय के साथ जमीन की कीमत बढ़ती गई। लाखों की जमीन अब करोड़ों में पहुंच चुकी है। जब आवास विकास ने कब्जा लेने की कोशिश की तो किसानों ने विरोध शुरू कर दिया। कुछ किसानों ने अधिग्रहित जमीन की कीमत ले ली, जबकि कुछेक किसानों ने अभी तक कीमत नहीं ली है। मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा था, लेकिन जो किसान जमीन की कीमत ले चुके हैं, उनकी याचिका खारिज हो चुकी है। हालांकि जिन लोगों ने कीमत नहीं ली है, उनका मामला अब भी चल रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले भी मंडल भर के अधिकारियों के साथ पुलिस और पीएसी ने कब्जा दिलवाने की कोशिश की थी, तब कुछ जन प्रतिनिधि पहुंच गए थे और किसानों को समय दे दिया गया था। मंगलवार को एडीएम प्रशासन रामनिवास शर्मा, एसपी सिटी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में नगर मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, एसडीएम दातागंज, सीओ सिटी, सीओ उझानी, छह थानों का फोर्स, एक प्लाटून पीएसी, 50 महिला कांस्टेबल, 100 आरक्षी के साथ कब्जा दिलवाने की कार्रवाई शुरू की गई। सात जेसीबी और 10 हैरो लगे ट्रैक्टर से धान, गन्ना और बाजरा की फसल की जोताई करके कब्जा दिलाने की कार्रवाई शुरू की गई। कुछ किसानों ने विरोध करने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें अपने पास बैठा लिया, किसान शोर मचाते रहे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई और करीब 87 एकड़ भूमि पर आवास विकास का कब्जा दिला दिया गया। इनसेट
सिविल लाइंस थाने में बनी रणनीति
कार्रवाई शुरू करने से पहले सिविल लाइंस थाने में मीटिग कर एसडीएम और सीओ के नेतृत्व में पुलिस की चार टीमें बनाकर अलग-अलग रास्तों से भेजा गया। चूंकि गांव की महिलाओं के भी विरोध में आने की संभावना थी, इसलिए 50 महिला कांस्टेबल भी टीम में लगाई गई थीं। जब पहली जेसीबी पहुंची तो कुछ किसान विरोध में आए, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। एक-एक करके सात जेसीबी और 10 ट्रैक्टर लगाकर कब्जा दिलवाया गया। इनसेट ::
गैंगस्टर लगाने की दी गई हिदायत
खेतों पर आवास विकास का कब्जा दिलवाने के दौरान पुलिस लाउडस्पीकर से लगातार यह हिदायत देती जा रही थी कि कार्रवाई में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की जाएगी। शायद यही वजह रही कि सामने वही किसान विरोध करने पहुंचे जिन्होंने जमीन की कीमत नहीं ली है और उनके मामले अब भी विचाराधीन हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है कि सभी किसानों को जमीन की कीमत दी जा चुकी है। इनसेट ::
गर्मी से बेहोश हुई महिला सिपाही
कार्रवाई के दौरान कड़ाके की धूप थी। जगह-जगह तैनात किए गए पुलिस कर्मी पसीना-पसीना हो रहे थे। एक महिला सिपाही धूप में बेहोश हो गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाकर उपचार कराया गया। अभी कोर्ट में लंबित है मामला : कैलाश
नगला गांव निवासी कैलाश कुमार सिंह पुत्र राममूíत सिंह इस कार्रवाई से आहत हैं। उनकी 48 बीघा जमीन पर आवास विकास को कब्जा दिला गया, जबकि उनका कहना है कि उन्होंने जमीन की अभी तक कोई कीमत नहीं ली है और हाईकोर्ट में मामला लंबित है। उन्होंने बताया कि 2010 में उन्होंने स्टे लिया था। मामला राज्य सरकार तक पहुंचा तो सरकार ने भी उनकी बात को सही ठहराया कि जमीन की मौजूदा रेट के हिसाब से भुगतान होना चाहिए। 2008 में ट्यूबवेल भी कराया, जिस पर सरकारी अनुदान भी प्राप्त हुआ। अभी जमीन पर उन्हीं का पजेशन है। इसलिए अनाधिकृत तरीके से उनकी जमीन पर कब्जा किया गया है। मौजूदा वक्त के हिसाब से कीमत मिलनी चाहिए, अथवा उस समय की कीमत पर ब्याज मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेत में लाखों रुपये की पूंजी लगा रखी थी, वह भी बर्बाद हो गया। वर्जन ::
किसानों की अधिग्रहित जमीन पर आवास विकास परिषद का कब्जा दिला दिया गया। सभी किसानों को उनकी जमीन की कीमत दिलाई जा चुकी है। जो लोग विरोध कर रहे हैं, वह वर्तमान रेट पर कीमत चाहते हैं, जबकि अधिग्रहण पहले ही किया जा चुका है।
- रामनिवास शर्मा, एडीएम प्रशासन वर्जन ::
आवास विकास को जमीन पर कब्जा दिलाने के प्रयास तो पहले भी हो चुके थे। इसलिए एहतियात बरती गई। एसडीओ, सीओ, पीएसी की प्लाटून, महिला सिपाही, आरक्षी लगाकर शांतिपूर्ण तरीके से जमीन पर कब्जा दिला दिया गया।
- जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, एसपी सिटी