अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर भूला प्रशासन
सोत नदी को कब्जा मुक्त कराने की पहल शुरू की गई तो पूर्व विधायक समेत दो बरातघरों को ढहा दिया।
बदायूं : सोत नदी को कब्जा मुक्त कराने की पहल शुरू की गई तो पूर्व विधायक समेत दो बरातघरों को ढहा दिया गया। प्रशासनिक अमले की सख्ती से लग रहा था कि अब जल्द ही सोत नदी पूरी तरह से कब्जा मुक्त हो जाएगी। प्रशासन ने भी अन्य अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर खुद ही अतिक्रमण हटवाने के आदेश दिए थे। 15 दिन का वक्त दिया गया था, लेकिन अब प्रशासन उस कार्रवाई को भूलता जा रहा है। शहर से गुजरने वाली जिले की ऐतिहासिक सोत नदी का अस्तित्व खत्म करने के लिए माफिया नदी की जमीन पर कब्जा करने में जुट गए। एक दशक में ही सोत नदी की जमीन को पूरी तरह से कब्जा लिया। सोत नदी पर कब्जा हुआ तो वर्ष 2007 में यहां से विधायक चुने गए मौजूदा सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने नदी का अस्तित्व बचाने के लिए यह मुद्दा विधानसभा में उठाया, लेकिन उस वक्त सत्ता में उनकी सरकार न होने की वजह से उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। इकलौते विधायक के अलावा कोई भी माफिया के सामने बोलने को तैयार नहीं था। उस वक्त माफिया और जिले के ही एक जिम्मेदार अधिकारी के बीच याराना गहरा हुआ तो वह इसका फायदा उठाते हुए जमीन को कब्जाता रहा। माफिया यहां तब तक कब्जा करते रहे जब तक जमीन को पूरी तरह से नहीं घेर लिया। इसी बीच पूर्व विधायक आबिद रजा ने यहां अपना बरातघर बनाया तो बीच सोत में एक और व्यक्ति ने मैरिज हॉल बना दिया। भाजपा सत्ता में आई तो सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने पूरी ताकत के साथ इसके खिलाफ बिगुल फूंक दिया। सदर विधायक की कोशिशों के बाद बीते दिनों पूर्व विधायक समेत दो बरातघरों को ढहा दिया। इसके अलावा सोत नदी पर कब्जा करने के बाद वहां पर इमारतें बनाने वालों को नोटिस जारी किए गए। उनको अंतिम चेतावनी दी गई। सिस्टम की सख्ती से लग रहा था कि जल्द ही सोत नदी पूरी तरह से कब्जामुक्त हो जाएगी, लेकिन इसी बीच प्रशासन ने मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। हालांकि इस संबंध में एसडीएम सदर पारसनाथ मौर्य का कहना है कि सभी को नोटिस दिया जा चुका है। जल्द ही सोत नदी को पूरी तरह से कब्जामुक्त करा दिया जाएगा।