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मलेरिया के बाद फाइलेरिया का वार

जिले में मलेरिया और फाल्सीपेरम मलेरिया के कहर बरपाने की वजह से ढाई सौ से अधिक लोग मरे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 11:54 PM (IST)
मलेरिया के बाद फाइलेरिया का वार
मलेरिया के बाद फाइलेरिया का वार

बदायूं : जिले में मलेरिया और फाल्सीपेरम मलेरिया के कहर बरपाने की वजह से ढाई सौ से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं वहीं, अब डेंगू के साथ फाइलेरिया का खतरा मंडराने लगा है। जिला अस्पताल में ऐसे दो संभावित मरीज भी आ चुके हैं, जिनके पैर काफी सूज गए थे। इलाज में राहत न मिलने पर दोनों को बरेली रेफर किया गया है। वहीं स्वास्थ्य महकमे के अफसर इस खतरनाक वायरस से अंजान बने हुए है।

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दरअसल, जिले में फाइलेरिया के दो मरीज पिछले दिनों मिले थे। इस रोग की चपेट में आए मरीजों को जहां लंबा इलाज और परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं अक्सर उनकी जान पर भी बन आती है। मलेरिया नियंत्रण में फेल साबित हुआ स्वास्थ्य महकमा फाइलेरिया को लेकर भी सजग नहीं है। जबकि हल्की ठंड में यह बीमारी तेजी के साथ फैलती है। खासकर देहात इलाकों में रहने वाले लोग इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं। ये हैं लक्षण

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. राजेश वर्मा के मुताबिक मरीज के पैर हाथ या शरीर का कोई अन्य अंग सामान्य की तुलना में मोटा हो जाता है। त्वचा की परत बढ़ती चली जाती है और इंफेक्शन फैलने लगता है। हल्का बुखार भी मरीज को रहता है और अंतत: यह स्थिति बन जाती है कि मरीज चलने-फिरने में भी अक्षम हो जाता है। क्यूलेक्स नाम की प्रजाति के मच्छर के काटने से यह होता है। हालांकि जिले में ऐसे केस काफी कम आते हैं। बचाव के उपाय

फाइलेरिया से बचने का यही उपाय है कि मच्छरों को घर के आसपास न पनपने दें और सफाई दुरुस्त रखें। ठंडे कमरे में सोएं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। लंबे आस्तीन व पतलून पहनें। इसके कहीं जलभराव मिले तो उसमें केरोसिन या गाड़ी से निकला हुआ मेबिलऑयल की कुछ बूंदें डाल दें। ताकि मच्छर खत्म हो जाएं। जल्दी नहीं हो पाती जांच

- इस बीमारी की जांच कर पाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि खून के भीतर यह वायरस पनपता है। कभी मरीज को बुखार के साथ पेटदर्द होगा तो कभी आंखों से भी कम दिखाई देगा। वहीं हाथपांवों में भी दर्द की शिकायत रहती है। इस बीमारी की कोई वैक्सीन भी नहीं बनी है। अक्सर शुरूआती लक्षणों के कई साल बाद बीमारी उभरकर आती है।

-वर्जन-

इस बीमारी की जांच के लिए टेस्ट स्ट्रिप मंगवाई जा चुकी है। प्राथमिक विद्यालयों में नौ से 14 साल उम्र वाले बच्चों का 13 से 15 नवंबर तक यह टेस्ट कराया जाएगा।मच्छरों पर काबू पाने का प्रयास हमारे स्तर से चल रहा है। लोग खुद भी सफाई रखें तो और बेहतर रहेगा। जागरूकता के लिए कार्यक्रम भी प्रस्तावित है।

- डॉ. बीके शर्मा, जिला मलेरिया अधिकारी


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