महिलाओं ने व्रत रखकर की अखंड सुहाग की कामना
= अनुष्ठान - वट वृक्ष की पूजा के बाद किया कथा का श्रवण - गुरुघाट में प्राचीन वृक्ष की छांव म
= अनुष्ठान
- वट वृक्ष की पूजा के बाद किया कथा का श्रवण
- गुरुघाट में प्राचीन वृक्ष की छांव में सुबह से ही जुटान
- बांस निर्मित पंखे के साथ चढ़ाए तरह-तरह के पकवान
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : पति के बिना पत्नी का जीवन अधूरा माना जाता है। इस हकीकत तो देखा गया गुरुवार को वट वृक्ष के नीचे जहां सुबह से ही महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। किसी के हाथ में पूजा की थाली तो किसी के हाथ में डलिया। साथ में बच्चे भी। सभी चल पड़े थे पूजा स्थल की ओर। मौका था वट सावित्री व्रत का।
अमर सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा और वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की पूजा-अर्चना की। पूजा के साथ अमर सुहाग की कामना की। उसके बाद महिलाओं ने सावित्री और सत्यवान से जुड़ी कथा का श्रवण किया।
सुहागिन महिलाओं को इस व्रत पर्व का साल भर इंतजार रहता है। पूजा की सारी तैयारियां महिलाओं ने एक दिन पहले ही कर ली थीं। तरह-तरह के फल, बांस का बना पंखा आदि की खरीदारी के बाद सुबह उठकर स्नान आदि के बाद पूड़ी, हलवा, गुलगुला तैयार किया। शहर में गुरुटोला मोहल्ले के गुरुघाट स्थित पुराने वट वृक्ष के पास महिलाओं की सर्वाधिक भीड़ देखी गई। महिलाओं ने वृक्ष को रोली, सिदूर लगाने के बाद धूप-दीप जलाया और उसके बाद मिट्टी के पात्र में घर में बनाए गए पकवान और फल अर्पित किया तथा बांस से बने पंखे को डोलाकर हवा दी। कथा में सत्यवान के प्राण हरण और उसके बाद पति का प्राण लौटाने के लिए तीन दिन तक सावित्री द्वारा यमराज का पीछा करने का वर्णन है। मान्यता है कि अपनी तपस्या के बल पर सावित्री ने अगर यमराज को अपना निर्णय वापस लेने को विवश कर दिया तो माता सावित्री की पूजा और उनके आशीर्वाद से सुहाग की रक्षा जरूर होगी।