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जब बहू बैठी फोटो खींचाने तो अटल जी ने बंद कर ली आंखें

आजमगढ़ : कुछ रिश्तों के डोर अनमोल होते हैं। उन्हें नाम नहीं दिया जा सकता। अटल बिहारी

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 12:21 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 12:21 AM (IST)
जब बहू बैठी फोटो खींचाने तो अटल जी ने बंद कर ली आंखें
जब बहू बैठी फोटो खींचाने तो अटल जी ने बंद कर ली आंखें

आजमगढ़ : कुछ रिश्तों के डोर अनमोल होते हैं। उन्हें नाम नहीं दिया जा सकता। अटल बिहारी वाजपेयी का आजमगढ़ जिले के बिलरियागंज ब्लाक के मानपुर के महातम राय से भी कुछ ऐसे ही संबंध थे। महातम राय का देहांत 20 दिसंबर, 1994 में हो गया पर परिवार से रिश्ते यूं ही बने रहे। महातम राय के एक पुत्र श्रवण कुमार राय और तीन पुत्रियां भाजपा नेता कुसुम राय, दूसरी सुषुम राय तीसरी सुमन हैं। महातम राय के पुत्र 60 वर्षीय श्रवण कुमार राय बताते हैं कि अटल जी 1999 में देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने दिल्ली में परिवार को बुलाया, सबसे बात हुई। उन्होंने मेरे पिता की बहुत सी यादों को हम सबके बीच साझा किया। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि तुम लोगों के साथ एक भी फोटो मेरी नहीं है। ऐसा करते हैं कि एक-एक कर सभी के साथ फोटो कराते हैं। सभी के साथ फोटो हुई। जब मेरी पत्नी मंजू राय की बारी आई तो उन्होंने कहा कि यह तो मेरी बहू है। अब इसके साथ फोटो..। मेरी पत्नी ने तुरंत सिर पर पल्ला रखा और बैठ गई उनके साथ। इसे आप जो भी नाम दे लें पर उस दौरान अटल जी ने स्वयं अपनी आंखें बंद कर लीं।

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श्रवण राय कहते हैं कि यह तो एक रिश्ते की बात रही। पिताजी के साथ बहुतायत यादें आज भी स्मृतियों में है। मेरे पिता जी आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री व जार्ज फर्नाडीज अध्यक्ष थे। 1974 में आठ मई को विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल घोषित थी। इसके पूर्व यानी एक मई को पिताजी को गिरफ्तार कर लिया गया। अटलजी इससे बहुत आहत हुए। विपक्ष में होने के कारण सदन में उनकी गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठाई। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर सदन नहीं चलने दिया। इतना ही नहीं 1977 में अटल जी विदेश मंत्री थे। पिता जी को ब्रेन ट्यूमर हो गया। इसकी जानकारी अटल जी को हुई। उस दौरान फोन की बहुत सुविधा नहीं थी। अलबत्ता उन्होंने लखनऊ में एक प्रतिष्ठित अखबार के संपादक को फोन किया। परिवार लखनऊ में था, जैसे ही सूचना मिली हम सब दिल्ली के लिए प्रस्थान किए। दिल्ली जब उनके आवास पर हम सब पहुंचे तो अंदर जाने नहीं दिया गया। गार्ड ने सख्ती से रोक लिया। पिता जी ने विरोध भी किया। बहरहाल, पता नहीं कहां से यह सब चीजें अटल जी भी देख रहे थे। वह फौरी भागते हुए आए। पिता जी को गले लगाया। गेट पर खड़े गार्ड को हिदायत दी कि जब भी यह लोग आएं कभी मत रोकना, यह मेरा परिवार है। पिता जी का दूसरे दिन से इलाज शुरू हुआ। अस्पताल में उस दौरान अटल जी के अलावा राजनारायण जी, नाना जी देशमुख, पंडित दीनदयाल जी सब अस्पताल में बैठे रहते थे। वह पल अजीब था। डाक्टर पिता से बात करने को मनाही करते थे और आप सब की बातें खत्म होने का नाम नहीं लेती थी। अमीनाबाग में बनता था कुर्ता

स्वर्गीय महातम राय के पुत्र श्रवण कुमार राय कहते है कि मेरे पिताजी कुर्ता के बड़े शौकीन थे। अटल जी जब भी उन्हें नया कपड़ा पहने हुए देखते थे, कहते थे यह गलत है, कहा बनवाया.। इसके बाद क्या, अमीना बाग स्थित एक टेलर में अटल जी का ही नहीं नाना जी देशमुख के लिए भी कपड़े बनता था। सिलाई करने वाला अपने इन चहेतों के लिए कपड़े बनाने में गर्व महसूस करता था।

साइकिल पर बैठकर करते थे नगर भ्रमण

महातम राय का आरएसएस से गहरा जुड़ाव रहा। संघ लगाने की जिम्मेदारी थी। तकरीबन 1974 के आस-पास अटल जी मेरे पिता की साइकिल पर बैठकर लखनऊ में जगह-जगह लगने वाले शाख का भ्रमण करते थे। यह लोग घंटों साइकिल पर सवार होकर टहलते थे। इतना ही नहीं जब अटल जी बलरामपुर व लखनऊ से चुनाव लड़े तो भी पिता जी यानी महातम राय चुनाव की सभी जिम्मेदारियां संभालते थे।


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