नहीं करेंगे प्राइवेट प्रैक्टिस, मूल वेतन का 35 फीसद दें भत्ता
आजमगढ़ : सरकार की उदासीनता व प्रशासनिक असंवेदनशीलता को लेकर सरकारी चिकित्सक अब आंदो
आजमगढ़ : सरकार की उदासीनता व प्रशासनिक असंवेदनशीलता को लेकर सरकारी चिकित्सक अब आंदोलन के मूड में हैं। कहा कि अगर उनके प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाई जा रही है तो उन्हें वेतन का 35 फीसद भत्ता दिया जाए। इसके अलावा चिकित्सकों को हर स्तर पर प्रोन्नति दी जाए, ताकि उन्हें भी सारी सुविधाएं मिल सकें। इसके अलावा ग्रामीण भत्ता मूल वेतन का 25 फीसद दिया जाए।
शहर के रोडवेज स्थित होटल में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रांतीय चिकित्सा सेवा के अध्यक्ष डा. विनय ¨सह यादव ने कहा कि सरकारी चिकित्सक पूरी गंभीरता से सेवाएं दे रहे हैं। चिकित्सकों की कमी की वजह से उन्हें चौबीस घंटे सेवा देनी पड़ रही है। ऐसे में उनका समय परिवार के साथ जहां नहीं बीत पाता है, वहीं मरीज व उनके परिजनों के साथ झुंझलाहट की वजह से विवाद भी पैदा होता है। सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि वाहन भत्ता के लिए 40 लीटर पेट्रोल, डीजल दिया जाए। दंत संवर्ग के चिकित्सकों को भी विशिष्ट एसीपी का लाभ एक दिसंबर 2008 से दिया जाए। कार्य के घंटे निर्धारित किए जाएं तथा राजपत्रित अवकाश में केवल इमरजेंसी चालू रखी जाए। वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. सुभाष ¨सह ने कहा कि वर्ष 1990-92 में तदर्थ रूप से नियुक्त लगभग एक हजार चिकित्सकों को नियुक्ति की तिथि से ही समस्त परिणामी लाभ प्रदान किए जाएं। सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर दी जाए तो विकल्प चुनने का अधिकार सेवारत चिकित्सकों को दिया जाए। स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के अधिकार को कायम रखते हुए समस्त लंबित आवेदनों को तत्काल निस्तारित किया जाए। इस अवसर पर वरिष्ठ फिजिशियन डा. राजनाथ, डा. संजय यादव, वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डा. पूनम कुमारी, डा. देवेंद्र ¨सह, डा. धनंजय कुमार पांडेय आदि उपस्थित थे।