उपवन में उपले की पथाई, कागज में हरियाली छाई
देश के लिए शहीद हुए जिले के जवानों की याद में शहीद स्मृति उपवन स्थापित किया गया जवानों की याद को संजोए रखने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर शहीद उपवन में वृहद पौधारोपण किया गया लेकिन उसके बाद पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी किसी ने नहीं समझी। हालत यह हो गई कि तीन माह बीतते-बीतते स्मृति उपवन के पौधे सूख गए और वह वीरान हो गया।
जागरण टीम, आजमगढ़ : देश के लिए शहीद हुए जिले के जवानों की याद में शहीद स्मृति उपवन स्थापित किया गया, जवानों की याद को संजोए रखने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर शहीद उपवन में वृहद पौधारोपण किया गया, लेकिन उसके बाद पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी किसी ने नहीं समझी। हालत यह हो गई कि तीन माह बीतते-बीतते स्मृति उपवन के पौधे सूख गए और वह वीरान हो गया। कुछ लोग उपवन में उपले पाथ रहे हैं तो कुछ लोगों ने चरागाह बना लिया है।
सठियांव विकास खंड के ग्राम पंचायत अवांव व खेमऊपुर में लक्ष्य निर्धारित कर पौधारोपण किया गया था। अवांव में शहीद स्मृति उपवन के नाम पर 900 व खेमऊपुर में 297 पौधे लगाए गए थे लेकिन पौधों की देखभाल की व्यवस्था न होने से अधिकतर पौधे सूख गए। कुछ पौधे बचे थे तो उन्हें पशुओं ने आहार बना लिया। गांव की कुछ महिलाओं ने शहीद उपवन को उपले पाथने के लिए उपयुक्त स्थान मान लिया।
जहानागंज क्षेत्र के रोशनपुर गांव में शहीद सतिराम की स्मृति में ग्राम प्रधान धर्मेंद्र कुमार द्वारा लगभग 350 पौधे लगाए गए। सुरक्षा व्यवस्था व गेट लगाकर पौधों की देखभाल की गई। लगाए गए पौधों में ज्यादातर पौधे हरे-भरे हैं। इसी क्षेत्र के तुलसीपुर में शहीद केके सिंह स्मृति उपवन में लगभग ढाई सौ पौधे लगाए गए, लेकिन उसरीली मिट्टी एवं घास के चलते मात्र 52 पौधे बचे हैं। बाकी सूख गए या तो बेसहारा पशु खा गए। शहीद केके सिंह के छोटे भाई व सेना से सेवानिवृत्त विजय कुमार सिंह ने बताया कि शहीद स्मृति उपवन का जो रूप होना चाहिए वह अभी नहीं दिख सका है। क्षेत्र के सेमा के सेनुरी गांव में शहीद घुरभारी यादव स्मृति उपवन में प्रधान अमित सिंह के नेतृत्व में 550 पौधे लगाए जिसमें 376 पौधे बचे हुए हैं। वहीं ग्राम पंचायत जूड़ारामपुर में शहीद सुनील कुमार सिंह की स्मृति में वन वाटिका की स्थापना की गई है। ग्राम प्रधान ने बताया कि कुल 500 पौधे रोपित किए गए थे। पौधे तो रोप दिए गए, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई देख-रेख का प्रबंध नहीं किया गया। देख-रेख के अभाव में उक्त जमीन से सभी पौधे गायब हैं। यहां बच्चों ने कबड्डी का फील्ड बना लिया हैं। वन वाटिका के नाम पर शहीदों का उपहास उड़ाया जा रहा है। पहल तो अच्छी थी मगर..
जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने जिले में पहल तो अच्छी की थी मगर अकेले वह करें भी तो क्या। बाकी लोगों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी। जिस जोश के साथ पौधारोपण किया गया उस जोश के साथ उसकी रखवाली नहीं हो सकी और नतीजा आज यह है कि आधा से ज्यादा पौधे वृक्ष बनने से पहले ही समाप्त हो गए। डीएम ने शहीदों को की स्मृति को बनाए रखने के लिए अनोखी पहल की थी। इसके तहत उन्होंने शहीद हुए 26 जवानों के नाम पर उनके गांवों में शहीद स्मृति उपवन की स्थापना कराई। भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर इन गांवों में बने शहीद स्मृति उपवन में पौधारोपण किया गया। पौधों की सुरक्षा मनरेगा से करना था। जागरण टीम ने स्मृति उपवन में लगाए गए पौधों की हकीकत जानने की कोशिश की तो काफी कुछ गैर जिम्मेदारी सामने आई।