वहां चमन उजड़ गया यहां रोटी की तलाश
आजमगढ़ परिवार की रोटी के लिए खूब बहाया पसीना लेकिन लॉकडाउन ने मुश्किल कर दिया जीना। वहां चमन उजड़ गया यहां रोटी की तलाश है। आगे कब तक क्या होगा यह तो नहीं मालूम लेकिन गांव में कुछ न कुछ मिलने की आस है। यह दर्द है गैर प्रांतों और जनपदों से लौटने वाले प्रवासियों का। लॉकडाउन लगने के बाद उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल यह बला चली जाएगी लेकिन लंबी बंदी ने रोटी का संकट पैदा कर दिया। मालिकों ने भी नहीं सोचा कि आखिर हम क्या खाएंगे। जिले में सात मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ तो आज तक जारी है। अब तक एक लाख से ज्यादा लोग यहां आ चुके हैं। जिलाधिकारी की पहल पर जो फाव
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : परिवार की रोटी के लिए खूब बहाया पसीना लेकिन लॉकडाउन ने मुश्किल कर दिया जीना। वहां चमन उजड़ गया, यहां रोटी की तलाश है। आगे कब क्या होगा, यह तो नहीं मालूम लेकिन गांव में कुछ न कुछ मिलने की आस है। यह दर्द है गैर प्रांतों और जनपदों से लौटने वाले प्रवासियों का। लॉकडाउन लगने के बाद उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल यह बला चली जाएगी लेकिन लंबी बंदी ने रोटी का संकट पैदा कर दिया। मालिकों ने भी नहीं सोचा कि आखिर हम क्या खाएंगे।
जिले में सात मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ तो आज तक जारी है। अब तक एक लाख से ज्यादा लोग यहां आ चुके हैं। जिलाधिकारी की पहल पर जो फावड़ा चलाने में सक्षम हैं उनके जख्मों पर तो मनरेगा का मरहम लग रहा है लेकिन जो फावड़ा नहीं चला सकते उन्हें रोटी की तलाश है। कुछ राज्यों में आवेदन के बाद नंबर आया तो मुफ्त में टिकट देकर भेजा गया तो कुछ ऐसे भी राज्य थे जहां से आने वालों से किराया वसूला गया।
इससे इतर लगभग 50 हजार लोगों के पास कोई चारा नहीं बचा तो वह अपने साधनों से घर आए। मुसीबतों ने यहीं साथ नहीं छोड़ा। ट्रकों से आने वाले तो कुछ ऐसे भी मिले जिनसे किराया लेने के बाद रास्ते में उतार दिया गया। ट्रकों पर लदी गिट्टियों पर बैठकर आने वाले मजदूरों के सिर पर विद्युत तार लेकिन जान जोखिम में डालकर आने को मजबूर हुए। अब जो लोग सरकारी साधन से आए उनकी समस्या पर गौर किया जाए तो रेलवे और रोडवेज पर परीक्षण के नाम पर लाइन तो लगा दी गई लेकिन इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि कड़ी धूप में लाइन लगाने के बाद उनकी तबीयत भी खराब हो सकती है।
उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आएंगे श्रमिक
आजमगढ़ : वरिष्ठ अधिवक्ता ओमप्रकाश मिश्र का कहना है कि ट्रेनों से आने वाले श्रमिक उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे ही नहीं। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सिंह ने कहा कि श्रमिकों ने टिकट तो खरीदा नहीं तो उपभोक्ता की श्रेणी में कैसे आएंगे और जब उस श्रेणी में नहीं हैं तो उपभोक्ता अदालत में भी नहीं जा सकते।