मौत से जूझ रहा तीन जिंदगियों को बचाने वाला युवक
आजमगढ़ शहर कोतवाली के क्षेत्र के शेखपुरा गांव निवासी 25 वर्षीय अजय मौर्य दो मासूमों संग उनकी मां की जान तो बचा लिया लेकिन खुद झुलसकर जिदगी व मौत से संघर्ष कर रहा है। उसके परिवार व नात रिश्तेदार उसके ठीक होने की दुआएं मांग रहे हैं। हर कोई अजय मौर्य के इस हौसले को सुनकर दंग हैं। खुद अजय अपने मुंह से आग की विभीषण स्थिति को जब बयां कर रहा है तो सबके रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : शहर कोतवाली के क्षेत्र के शेखपुरा गांव निवासी 25 वर्षीय अजय मौर्य दो मासूमों संग उनकी मां की जान तो बचा लिया, लेकिन खुद झुलसकर जिदगी व मौत से संघर्ष कर रहा है। उसके परिवार व नाते-रिश्तेदार उसके ठीक होने की दुआएं मांग रहे हैं। हर कोई अजय मौर्य के इस हौसले को सुनकर दंग हैं। खुद अजय अपने मुंह से आग की विभीषिका को बयां कर रहा है तो सबके रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं।
अजय मौर्य के पिता चंद्रशेखर मौर्य किसान हैं। चंद्रशेखर के दो बेटों में अजय सबसे बड़ा है। छोटा बेटा उपेंद्र मौर्य हैं। दोनों मजदूरी करते हैं। रविवार को खिलाड़ी के घर के पूरब वाले हिस्से में जोड़ाई का कार्य चल रहा था। अजय भी वहीं काम कर रहा था। अचानक आग लगने से अफरातफरी मच गई। इस बीच पीछे के हिस्से से लोगों ने सीढ़ी नीचे डाली तो पीछे से अजय किसी तरह निकल लिया। ग्लोबल हास्पिटल में भर्ती अजय मौर्य ने जो कहानी सुनाई, उससे सभी सहम गए। वहां से निकलने के बाद अजय मौर्य सड़क के सामने पहुंचा तो आग की लपटों के बीच खिलाड़ी की आठ साल व छह साल की दो बच्चियां घिर गई थीं। मां इनको निकालने की कोशिश में आग की लपटों से घिरी थी। अजय ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए आग में कूद गया और पहले दोनों बच्चियों को निकाला। फिर उसकी मां को भी निकालने के लिए आग की लपटों में चला गया। इस दौरान वह धमाके की चपेट में आ गया। उसने फिर भी हार नहीं मानी और बच्चों की मां को सकुशल बाहर निकाल लिया और खुद आग की लपटों से कराहने लगा। सलाम! युवाओं को, जान की बाजी लगा मौत के मुंह से छीनी जिंदगी
पटाखे की दुकान में लगी आग की घटना देख जहां अफरातफरी का माहौल रहा। वहीं कई लोग जान बचाकर भागते दिखे वहीं दर्जनों युवा आग की परवाह किए बगैर जान बचाने की कोशिश में अपनी जान दांव पर लगा दी। आग की लपटें निकल रहीं थीं, चीख-पुकार कान तक पहुंच रही थीं। इस बीच यहां के युवा आग से एक-एक जिदगी बचाने में जुटे रहे। घायल एक-एक व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जमीन पर गिरे हुए लोगों को चारपाई, चारपाई नहीं मिली तो अपने हाथों को आश्रय देकर एंबुलेंस तक पहुंचाया। कुछ इस बचाव में झुलस भी गए, कितु हार नहीं मानी। इतना ही नहीं सहयोग में यह पुलिस के भी हमराही बने। क्षेत्र में आज भी इनकी चर्चा रही। न मरने वाले की कोई जाति दिखी न ही बचाने वालों की, दिखी तो सिर्फ मानवता।