सच्चे मन से जो भी पूजे उसका बेड़ापार
सचे मन से जो भी पूजे उसका बेड़ापार
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सावन का महीना हो, शिव के साथ डीह, काली, समय-पहर की देवी सम्मो माता की पूजा हो, नागदेव का दर्शन हो और हनुमान जी भूल जाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता। कुछ ऐसा ही दिखा सावन के अंतिम मंगलवार को जब बारिश के बीच घरों में दुग्ध मिश्रित पकवान बने हनुमान जी के लिए। हां, इस बार कोरोना के साथ सुबह हुई बारिश भक्तों की राह में बाधक जरूर बनी और जो भीड़ हर सावन में होती थी वह नहीं दिखी।
कुछ ने घरों में ही हनुमानजी को रोट, लड्डू, चना के साथ तुलसी दल अर्पित किया तो तमाम ऐसे भी थे जो मंदिरों में पहुंचकर दर्शन करने से नहीं चूके। मंदिरों से लेकर घरों तक में 'आज मंगलवार है, महावीर का वार है, सच्चे मन से जो भी पूजे उसका बेड़ा पार है' की गूंज होती रही। शहर में आस्था का आलम यह था कि लोग मंदिरों में भले न पहुंच सके हों लेकिन बंदरों के इलाके यानी कचहरी क्षेत्र में पहुंचकर हलवा, पूड़ी के साथ केला और चना देकर पुण्य की कामना की।
फूलपुर : ग्रामीण क्षेत्रों में सावन के अंतिम मंगलवार को रोट कहा जाता है और इस अवसर पर बजरंग बली की मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। ठोकवा, चना, लड्डू के भोग के साथ विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना की गई। पूजन के उपरांत हवन-पूजन कर पारिवारिक सुख समृद्धि की कामना की गई। सुबह से ही बारिश हो रही थी पर बारिश पर आस्था भारी पड़ी।