10वीं मोहर्रम के जुलूस में दिखाया करतब
नगर के काजी साहब के इमामबाड़ा से 10वीं मोहर्रम का जुलूस ताजिया के साथ निकला। इसके साथ आगे-आगे डंबल और ढोल वाले नगाडो़ं की तेज आवाज पर चल रहे थे। जुलूस के पीछे अखाड़ों के दल तलवारबाजी व लाठी-डंडे से खेल का करतब दिखा रहे थे।
आजमगढ़ : नगर के काजी साहब के इमामबाड़ा से 10वीं मोहर्रम का जुलूस ताजिया के साथ निकला। इसके साथ आगे-आगे डंबल और ढोल वाले नगाड़ों की तेज आवाज पर चल रहे थे। जुलूस के पीछे अखाड़ों के दल तलवारबाजी व लाठी-डंडे से करतब दिखा रहे थे। जुलूस में शिया बंधु के साथ ही अन्य धर्म के लोग भी ताजिए के साथ चल रहे थे और सम्मान प्रकट करते हुए ताजिए को चूम रहे थे। कुछ लोग धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ताजिए के नीचे से निकल कर अपने को खुशनसीब समझ रहे थे। ताजिए के आगे ताजिएदारों द्वारा नौहा मातम के जरिए कर्बला का अजीब मंजर पेश किया जा रहा था। इसमें सीनाजनी, चाकू से अपने को दुख पहुंचाते हुए कर्बला के शहीदों के दुख में शामिल हो रहे थे। सभी लोग नंगे पांव हाथों में मातम के लिए जंजीर लिए हुए काले लिबास में मातम करते हुए कर्बला की तरफ धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहे थे। जुलूस नगर के देवकी चौराहा, काली चौराहा, ठाकुरद्वारा चौराहा, गुरुद्वारा मोढ़ होते हुए थाने मोड़ पर पहुंचा। जहां दरबारे जेहरा से निकला हुआ जुलूस आकर शामिल हुआ। इसके बाद दोनों ही गम और शांति के माहौल में कर्बला के लिए रवाना हुए। गम के माहौल में कर्बला में जाकर सभी ताजिए को शाम पांच बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया।