रोशनी खुद तुम्हे देखने आएगी, यह निराशा की चादर हटाए रखो
जागरण संवाददाता अतरौलिया (आजमगढ़) क्षेत्र की भवानीपुर स्थित मां जानकी इंटर कालेज में रवि
जागरण संवाददाता, अतरौलिया (आजमगढ़) : क्षेत्र की भवानीपुर स्थित मां जानकी इंटर कालेज में रविवार की देर रात चले कवि सम्मेलन में रचनाकारों की प्रस्तुतियों पर श्रोता दीर्घा में तालियां बजती रहीं। कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ।
कवि भालचंद्र त्रिपाठी ने समाज को दिशा देते हुए अपनी रचना 'लोग हैं जाल डाले हुए जो फंसे वह निवाले हुए, हर किसी को भरम है, यही हैं सब संभाले हुए' सुनाकर लोगों की खूब तालियां बटोरी। वाराणसी के रामकिशोर तिवारी ने 'तुम स्वयं अनंत दीपक जलाए रखो, सो गई चेतना को जगाए रखो, रोशनी खुद तुम्हे देखने आएगी, यह निराशा की चादर हटाए रखो।' सुनाकर लोगों को निराशा की दरिया से बाहर निकालने का प्रयास किया।
वाराणसी के भूषण त्यागी ने 'अंधेरा घना रोशनी चाहिए, दर्द जो पी सके रागनी चाहिए, जान दे दे जो हंसते हुए वतन के लिए, हौसलों से भरा आदमी चाहिए।' प्रमोद पंकज रामनगर ने 'मेरी बिटिया गई थी स्कूल, गली में भूखे भेड़िए मिले, इज्जत की उजाड़ दी धूल' सुनाकर लोगों को गंभीर बना दिया।
इसके अलावा विभा शुक्ला, बिहारी लाल अंबर ने भी अपनी रचनाओं से लोगों को प्रभावित किया। जयनाथ सिंह, सक्कू सिंह, विनोद राजभर, हवलदार यादव, रामचंद्र जायसवाल, अभिषेक सिंह सोनू, नीरज सिंह, दिनेश मद्धेशिया, नीरज तिवारी आदि थे।