कोरोना को मात दे सेवा में जुटीं सीएचओ सीमा को मिली शाबासी
जागरण संवाददाता आजमगढ़ बिलरियागंज ब्लाक के भीकपट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: बिलरियागंज ब्लाक के भीकपट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सीमा राय लोगों की देखभाल करते हुए कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं। स्वस्थ होने के बाद जैसे ही अस्पताल से छुट्टी मिली और होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी की, तुरंत बाद ही लोगों की देखभाल में लग गईं। डीएम ने कहा कि उनकी कर्तव्य परायणता प्रशंसनीय है। कहा कि सीमा की तरह यदि हर कोई अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सक्रिय रहे तो बड़ा से बड़ा लक्ष्य भी आसानी से पाया जा सकता है।
भीकपट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आठ गांवों की लगभग 15 हजार की आबादी का स्वास्थ्य सुधारने की जिम्मेदारी है। यहां की सीएचओ सीमा राय मरीजों को देखतीं हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं घर-घर पहुंचाने के लिए गांवों में आती-जाती रहती हैं। काम के दौरान ही उनकी तबीयत खराब रहने लगी। उन्हें बुखार था और शरीर में काफी दर्द था। दो सितंबर को उन्होंने कोल्हूखोर ब्लाक में एंटीजन किट्स टेस्ट कराया तो, उन्हें कोरोना पॉजिटिव होने का पता चला। उसी दिन एंबुलेंस से उन्हें एल-1 अस्पताल चंडेश्वर डेंटल कालेज भेजा गया। एक सप्ताह वहां रहने के बाद नौ सितंबर को वहां से डिस्चार्ज हुईं और नौ सितंबर से 15 सितंबर तक होम क्वारंटाइन रहीं। होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी हुई तो ओपीडी में छह मरीजों को देखा। उसके बाद क्षेत्र फरीदपुर गांव में ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एंड पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) सत्र में शामिल होने पहुंच गईं।
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कोरोना योद्धा सीमा के बोल..
सीमा राय ने यह पूछने पर कि अभी आप अस्वस्थ थीं और स्वस्थ होते ही तुरंत सेंटर पर पहुंच गईं तो वह कहती हैं कि मुझे ई-संजीवनी एप का उपयोग घर-घर तक करवाना है। इसलिए केंद्र पर जल्दी पहुंचना चाहती थी। लंबे समय तक लोगों से दूर रहूंगी तो उनको स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के निस्तारण में असुविधा होगी। इसके अलावा परिवार नियोजन के संसाधन और जानकारियां अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचानी थी। इसलिए जल्द से जल्द काम पर वापस आना चाहती थी।
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बोले, कोविड चैंपियन के नोडल अधिकारी
कोविड चैंपियन के नोडल अधिकारी एवं जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डा. ओमजी श्रीवास्तव ने बताया है कि सीमा राय हम सभी के लिए उदाहरण हैं। कोरोना की चुनौती का उन्होंने बहादुरी से सामना किया। स्वस्थ्य होते ही वह अपने कर्तव्य पालन में लग गईं। वह सभी के लिए अनुकरणीय हैं।