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क्रीड़ा कोष में लाखों डंप, नहीं संवर पा रही प्रतिभाएं

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : खेल व प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार तरह-तरह के

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:08 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 10:37 PM (IST)
क्रीड़ा कोष में लाखों डंप, नहीं संवर पा रही प्रतिभाएं

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : खेल व प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार तरह-तरह के मद में धन दे रही है लेकिन शिक्षा विभाग के रहनुमा इस पर पानी फेर रहे हैं। इसकी वजह से प्रतिभाएं जहां निखर नहीं पा रही हैं वहीं स्वास्थ्य के प्रति भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जनपद में हर वर्ष क्रीड़ा शुल्क के रूप में लाखों रुपये कोष में जमा होता है और इसे खर्च भी नहीं किया जाता है। कुछ जनपद स्तरीय प्रतियोगिताएं कराकर इसका कोरम पूरा कर लिया जाता है। शेष बचे धन विभागीय लोगों की मिलीभगत से डकार लिया जाता है। यही नहीं तमाम माध्यमिक विद्यालयों में खेल के मैदान ही नहीं है। वित्तविहीन विद्यालय के संचालक तो सारे धन हड़प लेते हैं और यह कोष में भी जमा नहीं करते हैं। इससे खेल की प्रतिभाएं प्रभावित हो रही हैं।

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जनपद में कुल 96 माध्यमिक अनुदानित विद्यालय, 23 राजकीय विद्यालय एवं 500 से अधिक वित्तविहीन विद्यालय संचालित है। इसमें अधिकतर के पास खेल का मैदान ही नहीं है। खेल प्रतिभाओं को तरासने का काम स्कूल एवं कालेज से ही शुरू होता है लेकिन यहां पर खेल को जिम्मेदार लोगों ने हासिए पर डाल दिया है। माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9-12 तक छात्रों से 60 रुपये की दर से क्रीड़ा शुल्क वसूला जाता है। इसमें नियमत: दो माह का क्रीड़ा शुल्क जनपदीय क्रीड़ा कोष में जमा होता है। इससे जनपदीय, मंडलीय एवं प्रदेशीय प्रतियोगिताओं का आयोजन एवं प्रतिभाओं के आने-जाने का किराया तथा भोजन पर व्यय किया जाता है लेकिन कुछ विद्यालय तो एक भी पैसा इस कोष में जमा नहीं करते जबकि कुछ नाम मात्र की धनराशि जमा कर इतिश्री कर लेते हैं। मजेदार बात है कि ऐसे विद्यालयों में खेल भी नहीं होता और सारा पैसा सत्रांत तक विद्यालय के जिम्मेदार डकार जाते हैं।

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रद्दी की टोकरी में डाल दी जाती है शिकायत

खेलों के प्रति कु²ष्टि से विद्यालयों में खेल प्रतिभाएं सिसक कर दम तोड़ रही हैं। विभाग को इसकी ¨चता नहीं है और उच्चतरीय विभागीय अफसरों को भी इसकी परवाह नहीं है। यदि कोई शिकायत होती है तो उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है।

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खेल को प्रोत्साहन दे रही सरकार

केंद्र एवं राज्य सरकार जहां खेलेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया का नारा देकर 17 वर्ष से कम वर्ष के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन करके पांच लाख प्रति वर्ष इस्टाइपेंड देने का काम कर रहीं है, वहीं उन्हीं के अफसर इस महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फेर रहे हैं।

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12 माह का जमा होता है कीड़ा शुल्क

विद्यालयों में पांच रुपये प्रतिमाह की दर से 60 रुपये प्रति छात्र जमा होता है। इसमें दस रुपये जनपदीय क्रीड़ा कोष में जमा होता है। विद्यालय क्रीड़ा कोष का संचालन प्रधानाचार्य द्वारा किया जाता है। इस मद से खेल मैदान का विकास, खेल सामान का क्रय व वर्ष पर्यंत चलने वाले आयोजनों पर व्यय किया जाता है।

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विद्यालयों द्वारा बरती जा रही उदासीनता से न तो प्रतियोगिताएं ठीक से हो जाती है और नहीं खिलाड़ियों का कैंप लग पा रहा है। इसका एक मात्र कारण धनाभाव है। यदि विद्यालय सजग हो जाएं तो प्रतिभाएं निखरकर जनपद का नाम रोशन करेंगी।

दिनेश ¨सह : निर्वतमान क्रीड़ा सचिव

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वित्तविहीन विद्यालय एक भी रुपये कोष में जमा नहीं करते हैं। अनुदानित 97 व राजकीय 23 विद्यालयों से जो धनराशि दो से ढाई लाख के करीब आती है, उसी से जनपद स्तरीय प्रतियोगिता कराई जाती है। बड़ी प्रतियोगिता कराने के लिए धन की जरूरत होती है, वह हमारे पास नहीं है।

डा. वीके शर्मा : जिला विद्यालय निरीक्षक आजमगढ़।


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