Move to Jagran APP

प्रभु श्रीराम के प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूटा धनुष

क्षेत्र में चल रही रामलीला की में दूसरे दिन पुष्प वाटिका में जब राम लक्ष्मण भ्रमण कर रहे थे उसी समय सखियों की नजर राजकुमार पर पड़ी तो सुंदर रूप को देखकर अचंभित हो गई और भागकर सीता के पास गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 12:02 AM (IST)
प्रभु श्रीराम के प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूटा धनुष
प्रभु श्रीराम के प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूटा धनुष

आजमगढ़ : बिंद्राबाजार में चल रही रामलीला में दूसरे दिन पुष्प वाटिका में जब राम लक्ष्मण भ्रमण कर रहे थे उसी समय सखियों की नजर राजकुमार पर पड़ी। उनके सुंदर रूप को देखकर अचंभित हो गई और भागकर सीता के पास गई और कहा दो राजकुमार बाग में हैं सीता वहां पहुंचती हैं। राम और सीता एक-दूसरे को देखने लगते हैं। धनुष यज्ञ में राम और लक्ष्मण समेत देश के कोने-कोने से राजा उपस्थित होते हैं तो उसी बीच लंका के राजा रावण का प्रवेश होता है। इसी दौरान बाणासुर व रावण दोनों में वाकयुद्ध होने लगता है। रावण जैसे ही धनुष की ओर बढ़ता है तो आकाशवाणी होती है कि तेरी बहन का अपहरण कर कोई ले जा रहा है। रावण प्रण करता है कि आज तो मैं सीता को नहीं ले जा पा रहा हूं लेकिन सीता को लंका एक दिन अवश्य ले जाऊंगा। वहीं जब दूर-दूर के राजा धनुष तोड़ने में विफल हो जाते हैं। तब जनक कहते हैं कि क्या धरती वीरों से खाली हो गई है। इस पर लक्ष्मण जी क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं कि सच्चे योद्धा व सच्चे क्षत्रिय अपमान नहीं सह सकते हैं। तभी विश्वामित्र के आदेश पर श्रीराम धनुष की ओर से बढ़ते हैं और जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाते है धनुष टूट जाता है। धनुष टूटते ही चारों तरफ जयश्रीराम के जयकारे लगने शुरू हो गए। तभी परशुराम का आगमन होता है। लक्ष्मण-परशुराम का संवाद होने के बाद परशुराम राम अवतार के बारे में जानने के बाद शांत हो जाते हैं।

loksabha election banner

ऐतिहासिक रामलीला का शुभारंभ पूर्व मंत्री व भाजपा कार्यसमिति के सदस्य डा. कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा ने किया। इस मौके पर रामलीला समिति के राधेश्याम सेठ, मुन्ना रावत, शिवप्रकाश, दिनेश, पवन, संतोष, योगेश्वर, दयाराम, स्वामीनाथ विश्वकर्मा, शैलेंद्र योगेश्वर, देवेश कुमार, अरुण सेठ, अध्यक्ष रूप नारायण उपाध्याय आदि थे। युद्ध में मारे गए कुंभकर्ण, मेघनाद व रावण

सरायमीर : क्षेत्र की रामलीला समिति पवईलाडपुर के कलाकारों ने रामलीला में विभीषण-रावण वार्तालाप व युद्ध का मंचन किया। इसमें विभीषण अपने भाई रावण को समझाता है कि हे रावण सीता साक्षात लक्ष्मी का रूप हैं। प्रभु श्रीराम से तुम्हे शत्रुता त्यागकर सीताजी को उन्हें सौंप देना चाहिए। इससे पूरी लंका का सर्वनाश होने से बचाया जा सकता है। इतना सुनते ही रावण क्रोधित हो जाता है और कहता है कि मर जाना मंजूर है लेकिन सीता को देना मंजूर नहीं। विभीषण तुम ज्ञान की बात मुझे मत सिखाओ और लात मारकर विभीषण को लंका से निकाल देता है। कहता है कि जा तुम भी तपस्वी बच्चों से मिल जा। विभीषण राम दल में आ जाते हैं और उनका स्वागत होता है। तत्पश्चात अंगद को रावण को समझाने के लिए भेजा जाता है लेकिन रावण के नहीं मानने पर युद्ध होता है। इस युद्ध में कुंभकर्ण, मेघनाद समेत रावण भी मारा जाता है। इस मौके पर पंकज ¨सह, श्रीनाथ, संदीप, शैलेष, अनुपम, गोपाल, गुलशन, गुलाब, ¨रकू शिवम, ओमप्रकाश, प्यारेलाल, गुड्डू, सुनील, संतोष, सोनू आदि थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.