श्रेया के जज़्बे को सलाम, जूड़ो में कर रही कमाल
'मंजिले मैंने चुनी हैं तो रास्ते भी मेरे होंगे, है रात अंधेरी तो क्या कभी अपने सबेरे होंगे, सपनें देखें हैं उसे पूरा भी करुंगा, अपनी सपनों की नगरी में होंगे बसेरे मेरे'। यह शायरी 14 साल की श्रेया ¨सह पर सटीक बैठती है। छोटी सी उम्र से उसने जूडों चैंपियन बनने का जो सपना देखा, वह आज भी बरकरार है। यही वजह है कि वह कलस्टर नेशनल स्तर की जूड़ो प्रतियोगिता तक पहुंच गई है लेकिन उसकी मेहनत कम पड़ गई और उसे आने जाना का मौका नहीं मिल पाया लेकिन आज भी श्रेया ¨सह का हौसला नेशनल चैंपियन बनने का है।
जयप्रकाश निषाद, आजमगढ़
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'मंजिल मैंने चुनी है तो रास्ते भी मेरे होंगे, है रात अंधेरी तो क्या, कभी अपने भी सवेरे होंगे..' कुछ ऐसी ही मंशा दिल में संजाए 14 साल की श्रेया ¨सह ने पढ़ाई के संग-संग खेल की दुनिया में कदम बढ़ा दी हैं। छोटी सी उम्र में श्रेया ने जूडो चैंपियन बनने का जो सपना देखा, वह आज भी बरकरार है। अपने इसी सपने को पूरा करने के क्रम में वह क्लस्टर नेशनल स्तर की जूडो प्रतियोगिता तक पहुंच गई हैं, हालांकि उपलब्धि सोच के मुताबिक नहीं मिली, लेकिन हौसले बुलंद हैं। आज भी श्रेया नेशनल चैंपियन बनने को दृढ़प्रतिज्ञ हैं।
श्रेया ¨सह पुत्री अभिमन्यु ¨सह शहर के एलवल मोहल्ले की निवासी हैं तथा सेंट जेवियर्स स्कूल एलवल में कक्षा नौ की छात्रा हैं। वह जब कक्षा चार में थीं तभी से जूडो की चाहत मन में पाल ली। ठान लिया कि वह जूडो खेलकर बड़ा खिलाड़ी बनेंगी। इसी जज्बे का परिणाम रहा कि वह जूडो की छोटी-बड़ी प्रतियोगिताओं में शामिल होती रहीं और बेहतर नतीजे मिलता रहे, हौसला बढ़ता रहा। अक्टूबर माह में ईस्टर्न जोन की तरफ से मथुरा के बलदेव पब्लिक स्कूल में क्लस्टर की स्टेट प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिला। यहां गोल्ड मेडल तो नहीं प्राप्त कर सकीं लेकिन सिल्वर मेडल प्राप्त कर जनपद का मान बढ़ाया। इसके बाद उनका चयन नेशनल चैंपियनशिप के लिए हो गया। इस चयन से उनकी खुशियों का ठिकाना न रहा।
एक से पांच नवंबर तक हरियाणा के पानीपत में आयोजित नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में श्रेया ने दम-खम के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कई खिलाड़ियों को धूल चटा दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश वह नेशनल चैंपियन बनने से चूक गई और चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। उनकी फिजिकल एजुकेशन स्पोर्ट्स टीचर रानी ¨सह, विवेक गुप्ता, अभिषेक ¨सह उन्हें पूरी तरह से नेशनल गेम खेलने के लिए तैयार कर रहे हैं। सेंट जेवियर्स परिवार भी पूरी तरह उनको प्रोत्साहित कर रहा है। जूडो में आने वाली समस्याओं को दूर करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। जूडो के साथ बा¨क्सग में भी दिलचस्पी
चौदह वर्ष की श्रेया को जूडो के साथ बा¨क्सग से भी खासा लगाव है। हालांकि वह खुद को इस वक्त जूडो पर ज्यादा केंद्रित की हुई हैं। इसके लिए वह पूरी शिद्दत के साथ तैयारी भी कर रही हैं। बेटी के बढ़ते हौसले से माता-पिता के अलावा पूरा परिवार खुश हैं। परिवारीजनों का कहना है कि बिटिया जिस लगन से लगी है, वह जरूर परिवार व देश का नाम रोशन करेगी।