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निर्यात की जाने वाली तुलसी की खेती को झटका

आजमगढ़ : निर्माणाधीन हाईवे की वजह से अमेरिका, जर्मनी, जापान, स्विट्जरलैंड सहित दुनिया के

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 12:47 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 12:47 AM (IST)
निर्यात की जाने वाली तुलसी की खेती को झटका
निर्यात की जाने वाली तुलसी की खेती को झटका

आजमगढ़ : निर्माणाधीन हाईवे की वजह से अमेरिका, जर्मनी, जापान, स्विट्जरलैंड सहित दुनिया के अनेक स्थानों पर निर्यात की जाने वाली कम्हेनपुर गांव में तुलसी की खेती करने वाले किसानों को झटका लगा है। आर्गेनिक इंडिया ने करीब 100 हेक्टेयर में तुलसी की खेती करने पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से इस साल किसानों को तुलसी की खेती प्रभावित हो रही है। इसका कारण माना जा रहा है कि हाईवे पर प्रदूषण की वजह से तुलसी की पत्तियां प्रभावित होंगी। इसकी वजह से उत्पादन जहां प्रभावित होगा वहीं इसकी गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न लगेगा। हाईवे तुलसी की खेती करने वाले किसानों के खेतों से होकर गुजर रहा है। तेजी से निर्माण भी चल रहा है।

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बता दें कि यहां की जैविक खेती से उत्पादित तुलसी की खेती ने किसानों को इतना आत्मनिर्भर बना दिया है कि इसकी खेती में लगे किसानों ने इसे अपनी नौकरी मान लिया है। आजमगढ़ जिले के किसान रबी, जायद व खरीफ फसलों की रासायनिक खेती पर आत्मनिर्भर थे लेकिन आजमगढ़ शहर के करीब कम्हेनपुर गांव में जन्मे डा. नरेंद्र ¨सह ने तुलसी पर शोध क्या किया कि आजमगढ़ में कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति आ गई। डा. नरेंद्र ¨सह और जापान से आए भारत मित्रा की वैचारिक समानताओं ने वर्ष 2000 में तुलसी की जैविक खेती का सूत्रपात किया। पहले डा. नरेंद्र ने इसकी शुरुआत अपने गांव कम्हेनपुर में अपने ही खेत से शुरू की। शुरू के तीन वर्षो तक खेत को रासायनिक खादों के कुप्रभाव से बाहर किया फिर शुरू हुआ जैविक खेती में तुलसी के पौधों की बोआई का सिलसिला। इस जैविक खेती के पीछे इन लोगों की यह सोच थी कि एक तो यह नई खेती होगी। जनपद में बेहाल पडे़ किसानों को सफलतापूर्वक आर्थिक ढांचे में ढालने का संकल्प लिया। यह संकल्प रंग लाया और महज कुछ वर्ष के प्रयासों में कम्हेनपुर गांव से शुरू हुई खेती आज डेढ़ दर्जन गांवों में सैकड़ों एकड़ से अधिक कृषि क्षेत्र में हो रही है। इससे यहां का किसान लगभग एक करोड़ से ज्यादा रुपये सालाना आय कर रहा है। यह देख अब अन्य किसानों में भी इसके प्रति रुझान बढ़ रहा है। अब अचानक आर्गेनिक इंडिया ने 100 हेक्टेयर में खेती करने से मना कर दिया। इसकी वजह से तमाम किसान तुलसी की खेती करने से वंचित हो गए। आर्गेनिक इंडिया विकल्प तलाश रहा है। ''जिले में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर औषधीय खेती की जा रही है। अब आर्गेनिक इंडिया ने हाईवे की वजह से इसकी खेती पर रोक लगाई है। इसके लिए विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं लेकिन इस साल यहां तुलसी की खेती प्रभावित हो सकती है। किसानों को तुलसी की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है, इसलिए जनपद में अन्य किसानों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है।''

-बालकृष्ण वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी।


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