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सातवें दिन भी सदरपुर बरौली कांड का राजफाश नहीं

- फालोअप - बहादुर बेटे को नहीं मिला एसपी का प्रशस्ति पत्र - जनसेवा केंद्र पर लूट की कोश्ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 05:36 PM (IST)
सातवें दिन भी सदरपुर बरौली कांड का राजफाश नहीं
सातवें दिन भी सदरपुर बरौली कांड का राजफाश नहीं

- फालोअप

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- बहादुर बेटे को नहीं मिला एसपी का प्रशस्ति पत्र

- जनसेवा केंद्र पर लूट की कोशिश का मामला

जागरण संवाददाता, फूलपुर (आजमगढ़): फूलपुर कोतवाली क्षेत्र के सदरपुर बरौली बाजार में लूट की कोशिश में जनसेवा केंद्र संचालक के पुत्र को गोली मारने की घटना का राजफाश करने में पुलिस को अभी तक नाकामी ही हासिल हुई है। 22 जुलाई को दिन के 11 बजे हुई घटना की जानकारी के बाद कप्तान भी पहुंचे थे। उन्होंने घटना के राजफाश के साथ ही बहादुर बेटे को प्रशस्ति पत्र देने की बात कही थी, लेकिन दोनों में एक भी नहीं हो सका।

बदमाशों ने लूट में विफल होने पर जनसेवा केंद्र व फिनो पेमेंट बैंक संचालक के पुत्र को गोली मार दी थी। भाग रहे बदमाशों की बाइक संचालक पुत्र ने पैर से मारकर गिरा दी तो सामने से आ रहे दूसरे की बाइक छीनकर लुटेरे निजामाबाद की ओर फरार हो गए। पुलिस चार बदमाशों के खिलाफ केस दर्ज कर वारदात की छानबीन में जुटी है, लेकिन घटना के सातवें दिन तक बदमाशों का सुराग नहीं लग सका था।

बलिया जिले के बांसडीह थानांतर्गत पठखौली निवासी जितेंद्र पाठक सदरपुर में किराए का मकान लेकर उसमें जनसेवा केंद्र एवं फिनो पेमेंट बैंक का संचालन करते हैं, जबकि पिछले हिस्से में परिवार के साथ रहते हैं। घटना वाले दिन तीन बदमाश पहुंचे तो उस समय जितेंद्र के पुत्र रितेक पाठक मौजूद थे। लुटेरों ने रितेक से रुपये निकालने के नियमों की जानकारी लेकर कहा कि लौटकर आएंगे और उसके बाद जब आए तो रितेक को तमंचा सटाकर कैश काउंटर में हाथ लगा दिया था। रितेक भी बदमाशों से भिड़ गए और तमंचा भी छीन लिया, लेकिन तीनों बदमाश उसे बाहर खींच लाए और तमंचा छीनकर फायर कर दिया था। गोली रितेक के पेट को छीलती हुई निकल गई थी।फिर भी रितेक ने पैर से मारकर बदमाशों की बाइक गिरा दी, तो लुटेरे दूसरे की बाइक छीनकर फरार हो गए थे। घटना की सूचना पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने रितेक को प्रशस्ति पत्र देने और बदमाशों की गिरफ्तारी की बात कही थी।फिलहाल न तो बदमाश मिले और न ही रितेक तक प्रशस्ति पत्र ही पहुंचा।


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