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56.49 लाख की वित्तीय अनियमितता में सात के निलंबन की संस्तुति

आजमगढ़ नगर पालिका परिषद आजमगढ़ के 17 वार्डो में डोर-टू-डोर सफाई एवं कूड़ा निस्तारण 56 लाख 49 हजार 121 रुपये के वित्तीय अनियमितता में कार्रवाई शुरू हो गई है। मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिलाधिकारी प्रशासन की जांच आख्या व पत्रावली अवलोकन करने के बाद अधिशासी अधिकारी डा. शुभनाथ प्रसाद ने तीन अधिकारियों व चार कर्मचारियों के निलंबन की संस्तुति करते हुए निदेशक नगर विकास निदेशालय को कार्रवाई के लिए भेज दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 11:42 PM (IST)
56.49 लाख की वित्तीय अनियमितता में सात के निलंबन की संस्तुति

जागरण संवाददाता, आजमगढ़: नगर पालिका परिषद आजमगढ़ के 17 वार्डो में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान और निस्तारण में 56 लाख, 49 हजार, 121 रुपये की वित्तीय अनियमितता में कार्रवाई शुरू हो गई है। मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिलाधिकारी प्रशासन की जांच आख्या व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद अधिशासी अधिकारी डा. शुभनाथ प्रसाद ने तीन अधिकारियों व चार कर्मचारियों के निलंबन की संस्तुति करते हुए निदेशक नगर विकास निदेशालय को कार्रवाई के लिए पत्रावली भेज दी है।

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डोर-टू-डोर कूड़ा उठान और निस्तारण के लिए एसआरएमटी वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 1350 रुपये प्रति टन की दर से निविदा स्वीकृत की गई थी। जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने इसे संज्ञान में लिया तो पता चला कि निर्धारित प्रति टन ट्रिपिग फीस आसपास की कई अन्य नगर पालिकाओं से संभवत: किसी भी नगर पालिका क्षेत्र में निर्धारित ट्रिपिग फीस की तुलना में सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त अन्य बिदुओं की जांच सीडीओ व एडीएम प्रशासन की टीम गठित करते हुए संयुक्त रूप से कराई गई। निविदा के माध्यम से एजेंसी का चयन किया जाना विधिसम्मत न होने से विभाग स्तर से संस्था को संबंधित कार्य के लिए 56,49,121 रुपये (1,15,288 रुपये आयकर सहित) भुगतान किया गया, जिसमें निविदा निकाय के स्तर से वित्तीय व्ययभार वहन किए जाने का कोई प्रावधान नहीं रहता है।

इस प्रकरण में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी विरेंद्र कुमार और नगर पालिका परिषद अध्यक्ष शीला श्रीवास्तव उपरोक्त बरती गई अनियमितता के प्रति प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। डीएम के निर्देश पर अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए कार्रवाई की गई। इसमें तत्कालीन अधिशासी अधिकारी विरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अवर अभियंता जलकल संजय कुमार वर्मा एवं राजस्व निरीक्षक हरिश्चंद्र यादव की अनियमितता प्रमाणित हुई। इस प्रकरण में इनके अलावा लिपिक कांतेय कुमार व सिकंदर यादव, राजस्व निरीक्षक अनुज कुमार गुप्ता एवं तत्कालीन राजस्व निरीक्षक की अनियमितता में संलिप्तता पाई गई है।


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