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पुराने ड्रेनेज सिस्टम ने जलनिकासी का बिगाड़ा सिस्टम

आजमगढ़ : तमसा नदी से तीन तरफ से घिरे शहर की आबादी समय के साथ बढ़ती जा रही है। इसी के

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 11:45 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 11:45 PM (IST)
पुराने ड्रेनेज सिस्टम ने जलनिकासी का बिगाड़ा सिस्टम
पुराने ड्रेनेज सिस्टम ने जलनिकासी का बिगाड़ा सिस्टम

आजमगढ़ : तमसा नदी से तीन तरफ से घिरे शहर की आबादी समय के साथ बढ़ती जा रही है। इसी के साथ पानी की खपत भी बढ़ रही है। बावजूद जलनिकासी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि शहर के कई क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बनी रहती है। बारिश के दिनों में तो हालत और बद से बदतर हो जाती है। अभी भी पुराने ड्रेनेज सिस्टम से काम चलाया जा रहा है। हाल तो यह है कि उसी पुराने सीवर लाइन में हाउस कनेक्शन का भी काम चल रहा है जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है।

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लगभग दो लाख की आबादी वाले शहर में 25 वार्ड हैं। इन वार्डो में लगभग 20 हजार मकान हैं। इन मकानों में नगर पालिका प्रशासन द्वारा लगभग 11 हजार से 12 हजार मकानों में प्रतिदिन 11.50 एमएलडी (मिलियन लीटर) पानी की आपूर्ति पाइप लाइन के माध्यम से की जाती है। इसके अलावा लगभग आठ से नौ हजार मकानों में रहने वाले लोग इंडिया मार्का हैंडपंप या फिर सबमर्सिबल के माध्यम से लगभग आठ एमएलडी पानी की खपत करते हैं। प्रतिदिन इन घरों से औसतन 60 फीसद (15 एमएलडी) गंदा पानी निकलता है। बारिश का पानी अलग से। बावजूद इसके जलनिकासी की समुचित व्यवस्था न होने से जलभराव की स्थिति बनी रहती है। वर्षों पुरानी सीवर लाइन भी आधे शहर में बनी है लेकिन मानक के अनुसार नहीं। कुछ मोहल्लों का पानी तो आठ-नौ नालों के माध्यम से तमसा नदी में चला जाता है लेकिन आधे शहर में वह भी व्यवस्था नहीं है। शहर में छोटे-बड़े 35 नाले-नालियां

शहर में नौ बड़े नालों सहित लगभग 35 छोटे-बड़े नाले हैं जिनके माध्यम से लोगों के घरों का पानी तमसा नदी या फिर अगल-बगल के ताल-पोखरों में जाता है। नाले-नालियां जाम हैं। अधिक आबादी वाले क्षेत्र में जहां भी पुलिया है वहां के बड़े नाले चोक कर गए हैं। शहर के कई हिस्सों में तो नालियां टूट चुकी हैं जिसके मरम्मत का कार्य कच्छप गति से चल रहा है। जलभराव का यह भी एक प्रमुख कारण है, जबकि 15 जून से ही नाले व नालियों की सफाई का निर्देश दिया गया था। छत्तीसगढ़ के मजदूरों ने संभाली सफाई की कमान

वर्षों से जाम हो चुके नालों व नालियों की सफाई के लिए पिछले एक पखवारा पहले छत्तीसगढ़ से मजदूर बुलाए गए। ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से बेलइसा पेट्रोल पंप के पास आधा किमी, दुर्गा टॉकीज से आधा किमी, ठंडी सड़क से आगे 300 मीटर, बदरका ईदगाह से आगे आधा किमी, नवजीवन अस्पताल से टेढि़या मस्जिद से आगे 300 मीटर, डीएवी कॉलेज से बांध तक 300 मीटर, गोयल कटरा से आगे 300 मीटर तक सफाई का कार्य कराया जा रहा है। अब तक चार लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 1814 लाख से 6567 घरों में सीवर हाउस कनेक्शन

जलनिकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शहर के 6567 घरों को सीवर हाउस कनेक्शन से जोड़ने का कार्य चल रहा है। कार्यदायी संस्था जल निगम के अधिशासी अभियंता एसके ¨सह ने बताया कि लगभग 20 फीसद धन शासन से मिला है। लगभग 30 फीसद कार्य पूरा हो चुका है। अक्टूबर तक यह कार्य पूरा कराया जाना है। शासन से धन मिलते ही कार्य पूरा करा दिया जाएगा। बलरामपुर में स्थापित होगा सीवेज प्लांट

आधे शहर में बिछी सीवर लाइन के माध्यम से तमसा नदी में गिर रहे गंदे पानी के लिए जल्द ही बलरामपुर में सीवेज प्लांट स्थापित होगा। इसके लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) शासन को भेज दी गई है। इसी के साथ सिविल लाइन से लेकर तमसा नदी के दक्षिण तरफ के मोहल्लों के गंदा पानी की निकासी के लिए सीवर लाइन और सीवेज प्लांट स्थापना को भी प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। ''नालों व नालियों की सफाई ठेकेदार के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मजदूरों से कराई जा रही है। जहां-जहां आवश्यकता पड़ रही है, उसे चिह्नित कर वहां का टेंडर प्रस्तावित किया जाएगा। पुरानी सीवर लाइन से भी पानी का समुचित बहाव नहीं हो पाता है जिससे जलभराव की समस्या बनी रहती है। फिर भी चोक हो चुके बड़े नालों की सफाई कराई जा रही है। सितंबर तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

-महावीर, जेई निर्माण, नगर पालिका, आजमगढ़। ''नालों व नालियों की सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है। साफ-सफाई और नालियों की मरम्मत जैसी जो भी व्यवस्था है उसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को सौंप दी गई है।''

-वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अधिशासी अधिकारी, नपा।


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