अब आलू की फसल में झुलसा की बढ़ी आशंका
आजमगढ़: आलू एक नकदी फसल के साथ अत्यंत संवेदशील फसल है, जिस पर मौसम की प्रतिकूलता का प्रभाव शीघ्र हो जाता है। पिछले कई दिनों से तापमान में गिरावट आई है।क्योंकि पश्चिमी क्षेत्र में शीत लहर का प्रकोप चल रहा है। इसके कारण सुबह में पाला पड़ने की संभावना बढ़ गई है।इधर, रविवार को हुई हल्की बारिश और लगातार बादल छाए रहे तो आलू की फसल में झुलसा रोग के तीब्र गति से बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : आलू एक नकदी फसल के साथ अत्यंत संवेदनशील फसल है, जिस पर मौसम की प्रतिकूलता का प्रभाव शीघ्र हो जाता है। पिछले कई दिनों से तापमान में गिरावट आई है, क्योंकि पश्चिमी क्षेत्र में शीत लहर का प्रकोप चल रहा है। इसके कारण सुबह में पाला पड़ने की आशंका बढ़ गई है। इधर, रविवार को हुई हल्की बारिश और लगातार बादल छाए रहे तो आलू की फसल में झुलसा रोग के तीव्र गति से बढ़ने की आशंका प्रबल हो जाती है।
जिला उद्यान अधिकारी बालकृष्ण वर्मा ने बताया कि अधिकतर जिलों से यह सूचना मिल रही है कि न्यूनतम तापमान तीन से चार डिग्री सेंटीग्रेड हो जा रहा है। ऐसी स्थिति में पाला पड़ने पर आलू फसल को काफी क्षति होने की आशंका बनी हुई है, क्योंकि पौधे की शिराओं में पानी जम जाता है, जिससे उसका आयतन बढ़ता है और शिराएं फट जाती हैं। शिराओं के फटने से ऊपर का भाग सूख जाता है और सड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में किसान आलू फसल में प्रत्येक सप्ताह ¨सचाई करते रहें और खेत के पश्चिमी किनारे पर आग सुलगाकर धुआं करते रहें। इससे आलू की फसल पर पाले का प्रभाव नहीं पड़ेगा। पिछैती झुलसा रोग नियंत्रण के लिए करें ये उपाय
आलू की फसल में पाला के अतिरिक्त पिछैती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए किसान मैंकोजेब, प्रोपीनेब, क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का प्रयोग करें। सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 फीसद की दर से यानी दो से ढाई किलो दवा 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरंत करें। बीमारी प्रकट होने पर ये उपाय अपनाएं
आलू की फसल के जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो, उनमें किसी भी फफूंदनाशक साईमोक्सेनिल व मैंकोजेब का तीन किलो प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर) की दर से या डाईमेथोमार्फ एक किलो एवं मैंकोजेब का दो किलो (कुल मिश्रण तीन किलो) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर) छिड़काव करें।