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'मृतक' ने विधानसभा में फेंका था 'मैं ¨जदा हूं' का पर्चा

आजमगढ़ ¨जदा रहते हुए भी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। तहसील व जिला प्रशासन को कौन कहे, प्रदेश व केंद्र की सरकार ने भी जब कोई तवज्जो नहीं दी। इसके मरता क्या न करता की कहावत को चरितार्थ किया 'मृतक' संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबिहारी 'मृतक' ने। आजमगढ़ के तहसील सदर अंतर्गत अमिलो निवासी लाल बिहारी 'मृतक' को 30 जुलाई 1976 में कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। कार्यालयों का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो जाने के बाद उन्होंने अपनी बात रखने का दूसरा और नायब तरीका तलाश किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 08:20 AM (IST)
'मृतक' ने विधानसभा में फेंका था 'मैं ¨जदा हूं' का पर्चा
'मृतक' ने विधानसभा में फेंका था 'मैं ¨जदा हूं' का पर्चा

अनिल मिश्र, आजमगढ़

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¨जदा रहते हुए भी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। तहसील व जिला प्रशासन को कौन कहे, प्रदेश व केंद्र की सरकार ने भी कोई तवज्जो नहीं दिया। 'मरता क्या न करता' की कहावत को चरितार्थ किया मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबिहारी 'मृतक' ने।

आजमगढ़ के तहसील सदर अंतर्गत अमिलो निवासी लाल बिहारी मृतक को 30 जुलाई 1976 में कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। कार्यालयों का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो जाने के बाद उन्होंने अपनी बात रखने का दूसरा और नायाब तरीका तलाश किया। नौ सितंबर 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी ¨सह के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में पर्चा फेंका। मार्शल ने चार-पांच घंटे बाद छोड़ा। 20 वर्ष की आयु में 1980 के दशक में अपने चचेरे भाई बाबूराम (तब उम्र छह वर्ष) का स्कूल से अपहरण कर लिया। जब पुलिस और परिजनों ने संज्ञान में नहीं लिया तो एक सप्ताह बाद छोड़ दिया। सरकार के कान तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए लालबिहारी 1987 में बोर्ड क्लब के सामने 56 घंटे की भूख हड़ताल पर रहे। उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने संज्ञान में लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया। 1984 में तहसीलदार सदर की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाने की बात कहते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखा था। 'मैं ¨जदा हूं' साबित करने के लिए फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के इस्तीफे के बाद 1988 में लोकसभा के चुनाव में इलाहाबाद सीट से वीपी ¨सह के खिलाफ लालबिहारी ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में बसपा संस्थापक कांशीराम, धरती पकड़ सहित कई प्रत्याशी लड़ रहे थे। 1989 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राजीव गांधी के मुकाबले नामांकन किया था। बहरहाल, 30 जून 1994 को अभिलेखों में ¨जदा होने के बाद लालबिहारी ने मृतक संघ की स्थापना की। अब तक धोखाधड़ी के शिकार हुए काफी संख्या में पीड़ितों को अभिलेखों में ¨जदा कर चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी से प्रधानमंत्री और अमेठी व रायबरेली से राहुल गांधी व सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी है।


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