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डीएम साहब, अब मुश्किल हो गई दो जून की रोटी

आजमगढ़ डीएम साहब लॉकडाउन का लंबा समय बीत गया है। शर्तों के ही साथ कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है लेकिन ठेला-खोमचा अंडा चाय-पान की दुकानों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब आर्थिक संकट के कारण दो वक्त की रोटी भी मिलनी मुश्किल हो रही है। इसलिए इधर भी नजरें इनायत हों हमलोगों को भी दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए जिससे अपनी रोजी-रोटी चल सके।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 04:29 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 04:29 PM (IST)
डीएम साहब, अब मुश्किल हो गई दो जून की रोटी
डीएम साहब, अब मुश्किल हो गई दो जून की रोटी

जासं, (फूलपुर) आजमगढ़ : डीएम साहब, लॉकडाउन का लंबा समय बीत गया है। शर्तों के ही साथ कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है लेकिन ठेला-खोमचा, अंडा, चाय-पान की दुकानों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब आर्थिक संकट के कारण दो वक्त की रोटी भी मिलनी मुश्किल हो रही है। इसलिए इधर भी नजरें इनायत हों, हमलोगों को भी दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए जिससे अपनी रोजी-रोटी चल सके।

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फोटो--13-सी.-।

''मां सहित तीन बच्चों का खर्च अंडा की दुकान से चलता था। सुबह ईंट-भट्ठे से जला हुआ कोयला चुनकर लाता था। खुद की चाय की दुकान और अन्य भट्ठी में चलाने वालों को कोयला बेचता था।राशन तो मुफ्त मिलता है लेकिन तेल, मसाला, सब्जी व बच्चों का दूध कहा से आएगा। जमा पूंजी खत्म हो गई है।

--पवन बिद, अंडा विक्रेता।

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फोटो--14-सी.।

पान की दुकान से परिवार के छह सदस्यों का खर्च चलता है। दो महीने के अंदर जमा-पूंजी भी खर्च हो गई है। अब संकट बढ़ गया। हमें भी राहत प्रसासन दे, जिससे रोजी-रोटी चल सके।

--राम केवल चौरसिया, पान विक्रेता।

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फोटो--15-सी.।

चाय की दुकान से पूरे परिवार का खर्च चलता था। अब आर्थिक संकट के कारण जीविकोपार्जन मुश्किल हो गया है। शासन-प्रशासन अनुमति दे तो चाय की दुकान से संकट दूर हो जाता।

--परमहंस गोड, चाय विक्रेता।

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फोटो--16-सी.।

मां सहित परिवार के छह सदस्यों का भरण-पोषण पान की दुकान से होता है। खेती-किसानी भी नहीं है। सब खरीद कर खाना होता है। अब आर्थिक संकट बढ़ गया है। ऐसे में दुकान खोलने की अनुमति मिल जाती तो काफी राहत होती।

--चंदन गुप्ता, पान विक्रेता।

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17-सी.।

परिवार के आठ सदस्यों का आसरा चाय की दुकान है। रोना इस बात का है कि लॉकडाउन-4 में भी इसे खोलने की अनुमति नहीं मिली। घूमकर चाय दे देता तब भी रोटी आराम से चल जाती।

--सीताराम बिद, चाय विक्रेता।


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