देवताओं के आग्रह पर मां ने किया था महिषासूर का वध
जागरण संवाददाता चक्रपानपुर (आजमगढ़) ऋषि-मुनियों की इस धरती पर देवी-देवताओं का भी वास र
जागरण संवाददाता, चक्रपानपुर (आजमगढ़) : ऋषि-मुनियों की इस धरती पर देवी-देवताओं का भी वास रहा है। मान्यता के अनुसार मां सती की पालथी अगर पल्हना में गिरी और उस स्थान का नाम पल्हना धाम पड़ा तो दूसरी तरफ जहानागंज ब्लाक क्षेत्र के टाड़ी गांव में भी मां का चमत्कार हुआ। इस स्थान के बारे में कोई प्रमाणिक साक्ष्य तो नहीं मिलता, लेकिन मान्यता है कि यहां मां भगवती ने देवताओं के आग्रह पर महिषासूर नामक राक्षस का वध किया था। महिषासूर के खून की धारा के रूप में उस समय बही नदी का नाम भैंसही और जिस स्थान पर खून गिरा, उसका नाम भैंसहा ताल पड़ा। ताल और नदी आज भी अपने अस्तित्व में हैं। यह नदी टाड़ी गांव से निकलकर गाजीपुर तक जाती है और वहां बहादुरगंज बाजार के पास तमसा में मिलती है। इस स्थान का नाम है मां परमज्योति धाम है। यहां दर्शन-पूजन से जीवन में नई ज्योति का संचार होता है।
पहले इस स्थान पर सैकड़ों साल पुराने नीम के पेड़ के नीचे देवी के नाम की पूजा होती थी। लोगों की आस्था और सुविधा को ध्यान में रख ग्रामीणों ने भव्य मंदिर के निर्माण का निर्णय लिया। मां परम ज्योति धाम के संस्थापक व्यवस्थापक रामानंद बरनवाल का कहना है कि सन 1999 में जब इस धाम का जीर्णोद्धार हो रहा था तो खोदाई में अष्टधातु की प्रतिमा मिली थी। मंदिर का भव्य रूप तैयार कर अष्टधातु की प्रतिमा उसी स्थान पर पुन: स्थापित कर दी गई। लोगों में विश्वास है कि सच्चे मन से अपनी मुराद लेकर आने वाले यहां से कभी निराश नहीं लौटते। इतना ही नहीं क्षेत्रवासी मुंडन संस्कार, वैवाहिक कार्यक्रम जैसे शुभ कार्य की शुरुआत मां के धाम पर पूजन-अर्चन के साथ करते हैं। नवरात्र के अलावा भी हर रविवार और मंगलवार को यहां भीड़ होती है और लोग कड़ाही चढ़ाते हैं। मुराद पूरी होने के बाद गाजे-बाजे के साथ यहां हाजिरी लगाते हैं।