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अमानवीय शोषण की परत-दर-परत खोल गया 'नेटुआ'

आजमगढ़ उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान और सूत्रधार संस्थान के विशेष सहयोग से शहर के शारदा टॉकीज में चार दिवसीय चतुरंग नाट्योत्सव का आयोजन किया गया है। नाट्योत्सव के दूसरे दिन साईकोलोनॉरमा नई दिल्ली की प्रस्तुति नेटुआ का मंचन युवा निर्देशक दिलीप गुप्ता के निर्देशन में मंचित किया गया। गुरुवार की संध्या का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष जयनाथ ¨सह एसपी ग्रामीण नरेंद्र ¨सह व बीएसए देवेंद्र पांडेय ने सयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 08:04 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 08:04 PM (IST)
अमानवीय शोषण की परत-दर-परत खोल गया 'नेटुआ'
अमानवीय शोषण की परत-दर-परत खोल गया 'नेटुआ'

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान और 'सूत्रधार' संस्थान के विशेष सहयोग से शहर के शारदा टॉकीज में चार दिवसीय चतुरंग नाट्योत्सव का आयोजन जारी है। नाट्योत्सव के दूसरे दिन साईकोलोनॉरमा नई दिल्ली की प्रस्तुति 'नेटुआ' का मंचन युवा निर्देशक दिलीप गुप्ता के निर्देशन में किया गया। गुरुवार की संध्या का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष जयनाथ ¨सह, एसपी ग्रामीण नरेंद्र ¨सह व बीएसए देवेंद्र पांडेय ने सयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

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रतन वर्मा लिखित व दिलीप गुप्ता निर्देशित 'नेटुआ' नाटक बिहार के एक परंपरागत और अब लुप्तप्राय लोकनृत्य 'नेटुआ नाच' के समाजशास्त्रीय विश्लेषण और इससे जुड़े एक लोक कलाकार झमना के अमानवीय शोषण को परत-दर-परत खोलने वाली कहानी को बयां करता है। यह नाटक सामंतवाद और यौन विकृति की सामाजिक अभिव्यक्ति से भी जुड़ता है। बचपन में ही अनाथ हो गया झमना अपने नाना से नेटुआगिरी का गुण सीखने के बाद उसका अपने अंदर के कलाकार से साक्षात्कार होता है। उसमें वह गहराई तक जाने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहता है, लेकिन वह बाबू जमींदारों की यौन लिप्साओं से बच नहीं पाता और उसका शिकार भी हो जाता है। हालात यहां तक पहुंच जाते हैं कि अब उन्हें उसके पुरुष रूप को स्वीकार करना असहाय लगता है। यहा तक कि उसका पारिवारिक जीवन भी उनकी कुंठाओं से बच नहीं पाता। कल्पनाशील निर्देशक के सधे हुए नाट्य प्रयोगों से यह नाटक कथ्य को अधिक संप्रेषणीय बना देती है। नाटक का संगीत पक्ष कथ्य को और गंभीरता प्रदान करती है। कुल मिलाकर यह प्रस्तुति एक यादगार प्रस्तुति के रूप में दर्ज हुई। इस मौके पर सांस्कृतिक केंद्र के प्रतिनिधि पुन: प्रकाश श्रीवास्तव, डा. सीके त्यागी, मनीष तिवारी,अर¨वद अग्रवाल, पूनम तिवारी, शिखा मौर्य, सोनी पांडेय, अलका ¨सह थीं। प्रभावशाली रहा कलाकारों का अभिनय

नाटक में दिलीप गुप्ता, राजेश बक्शी, नरेंद्र कुमार,राज तंवर, हर्षिता गौतम, अविनाश तिवारी, ललित ¨सह, अमित कुमार, निखिल द्विवेदी, हेमंत कुमार ने बहुत ही प्रभावशाली अभिनय किया। संगीत परिकल्पना सैंडी ने किया। हारमोनियम व मुख्य गायन में सचिन, ढोलक पर रवि, नक्कारा पर अतीक खान ने भरपूर सहयोग दिया। प्रकाश परिकल्पना राहुल चौहान और नृत्य संरचना व वस्त्र विन्यास यशस्विनी बोस का रहा।


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