गुलजार रहा गुरु दरबार, लंगर में मिला एकता का संदेश
आजमगढ़ कार्तिक पूर्णिमा पर हर तरफ आस्था का सैलाब उमड़ा था। एक तरफ मंगलवार को जहां लोगों ने पवित्र नदियों व सरोवरों में डुबकी लगाई वहीं दूसरी ओर सिख संप्रदाय के प्रथम गुरु नानक देव का 550वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा और उत्साह के माहौल में मनाया गया। मौका प्रथम गुरु की जयंती का हो तो ऐसे मौके पर सिख परिवारों में उत्साह और गुरुद्वारों में भीड़ का होना भी स्वाभाविक ही था।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: कार्तिक पूर्णिमा पर हर तरफ आस्था का सैलाब उमड़ा था। एक तरफ मंगलवार को जहां लोगों ने पवित्र नदियों व सरोवरों में डुबकी लगाई वहीं दूसरी ओर सिख संप्रदाय के प्रथम गुरु नानक देव का 550वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा और उत्साह के माहौल में मनाया गया। मौका प्रथम गुरु की जयंती का हो तो ऐसे मौके पर सिख परिवारों में उत्साह और गुरुद्वारों में भीड़ का होना भी स्वाभाविक ही था। नगर के बिट्ठलघाट स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार में लखनऊ से आए रागी जत्थे में शामिल पवनदीप सिंह व सुखेंद्र सिंह आदि ने सबद-कीर्तन किया।
सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था जो देर शाम तक चलता रहा। महिलाओं और बच्चों में गुरुद्वारे पहुंचने को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साह देखा गया। लोगों ने गुरुद्वारों में पहुंचकर सबसे पहले फूलों से सजी पालकी में विराजमान गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और खुद के साथ परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की।
सुबह से ही पाठ शुरू हो गया था जिसके समाप्त होने पर अरदास किया गया। इसके बाद कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान भजन-कीर्तन का कार्यक्रम चलता रहा जिसमें बच्चों ने भी भाग लिया। पाठ की समाप्ति के बाद ज्ञानी के साथ सभी ने अरदास किया और दोपहर बाद लंगर शुरू हुआ। लंगर में सामाजिक एकता की भी साफ झलक दिख रही थी। लंगर में कोई न तो बड़ा था और ना ही छोटा। सभी एक ही पांत में जमीन पर बैठकर गुरु का प्रसाद मान लंगर चख रहे थे। सिख संप्रदाय के अलावा हिदू संप्रदाय के लोगों ने भी गुरुद्वारों में पहुंचकर सिर को ढंकने के बाद गुरुग्रन्थ साहिब के समक्ष शीश झुकाया और सुख-शांति की कामना की। लंगर में प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक एकता का संदेश मिल रहा था।
निजामाबाद प्रतिनिधि के अनुसार-गुरुद्वारा चरण पादुका सहिब में धूमधाम से प्रकोत्सव मनाया गया। यहां जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने गुरुग्रंथ साहिब का दर्शन किया। सुबह से ही गुरुद्वारा में सिख संगत के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। अखंड पाठ और सबद-कीर्तन से माहौल गुरुमय बना रहा। इस अवसर पर गुरुद्वारा की आकर्षक साज-सज्जा की गई थी। बड़ी संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।