रमजान में अल्लाह हो जाते हैं ज्यादा दयावान
(आजमगढ़) रमजान के महीने में अल्लाह अन्य महीनों की तुलना में अपने बंदों पर अधिक दयावान होते हैं इसीलिए दुनिया के मुसलमानों में इस महीने की बड़ी अहमियत है। पहला अशरा यानी दस दिन करुणा दया का है दूसरा पापों के प्रायश्चित और तीसरा अशरा नरक से बचने का है। जनता इंटर कॉलेज अंबारी के प्रवक्ता रफीउद्दीन का कहना है कि तीसरे अशरे में एक रात शब-ए कद्र की है जो हजार रातों से बेहतर है। इसलिए सभी मुसलमान इस रात की तलाश में पांचों रात में खूब पूजा-अर्चना करते हैं। मुसलमानों को चाहिए कि नेक काम में बढ़-चढ़ कर भाग लें ताकि जकात के पैसों से गरीबों और परेशान लोगों की जिदगी बचाई जा सके। मुसलमानों के कंधों पर कोरोना से ग्रस्त लोगों को बचाने की भी जिम्मेदारी अधिक हो जाती है। मुसलमानों को चाहिए कि इस महीने में पूजा-अर्चना में ऊपर वाले से दुआएं मांगें और अपने पापों का प्रायश्चित करें।
जासं, अंबारी (आजमगढ़) : रमजान के महीने में अल्लाह अन्य महीनों की तुलना में अपने बंदों पर अधिक दयावान होते हैं, इसीलिए दुनिया के मुसलमानों में इस महीने की बड़ी अहमियत है। पहला अशरा यानी दस दिन करुणा, दया का है, दूसरा पापों के प्रायश्चित और तीसरा अशरा नरक से बचने का है।
जनता इंटर कॉलेज अंबारी के प्रवक्ता रफीउद्दीन का कहना है कि तीसरे अशरे में एक रात शब-ए कद्र की है जो हजार रातों से बेहतर है। इसलिए सभी मुसलमान इस रात की तलाश में पांचों रात में खूब पूजा-अर्चना करते हैं। मुसलमानों को चाहिए कि नेक काम में बढ़-चढ़ कर भाग लें, ताकि जकात के पैसों से गरीबों और परेशान लोगों की जिदगी बचाई जा सके। मुसलमानों के कंधों पर कोरोना से ग्रस्त लोगों को बचाने की भी जिम्मेदारी अधिक हो जाती है। मुसलमानों को चाहिए कि इस महीने में पूजा-अर्चना में ऊपर वाले से दुआएं मांगें और अपने पापों का प्रायश्चित करें।