सैकड़ों घरों में घुसा घाघरा का पानी, मची अफरा-तफरी
सैकड़ों घरों में घुसा घाघरा का पानी मची अफरातफरी
जागरण संवाददाता, सगड़ी (आजमगढ़) : घाघरा नदी के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि के चलते सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। इससे देवारावासियों में अफरा-तरफ मच गई है। सभी का बंधे पर पलायन शुरू हो गया है। लोग अपनी गृहस्थी के सामान व पशुओं के साथ बंधे पर डेरा जमा लिए हैं। अधिकारी पूरी रात बंधे व गांवों का दौरा करते नजर आए। उधर, बाढ़ खंड विभाग बंधे को बचाने में जुटा हुआ है।
सगड़ी तहसील क्षेत्र के उत्तर दिशा में बहने वाली घाघरा नदी अपने विनाशकारी रूप धारण करती नजर आ रही है। नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे 134 गांव में बसने वाली 80 हजार से ऊपर की आबादी प्रभावित हो रही है। एक दर्जन से अधिक गांव घाघरा नदी के जल से गिर चुके हैं। सैकड़ों घरों में पानी घुस गया लोग अपनी गृहस्थी का सामान समेट व पशुओं के साथ पलायन कर रहे हैं। घरों में ईंधन व मिट्टी के तेल की समस्या से देवरावासी जूझ रहे हैं। बिजली गांव की काट दी गई है। वहीं मिट्टी का तेल न मिलने से पूरा देवारा क्षेत्र अंधेरे में डूबा हुआ है।
नदी के बढ़ते जलस्तर को देख प्रशासन रात्रि में बंधे पर तैनात रहा। एडीएम वित्त व राजस्व गुरु प्रसाद गुप्ता, एसडीएम अरविद कुमार सिंह, तहसीलदार बृजेश पाठक रात्रि में डेरा डालकर रात-दिन भ्रमण कर रहे हैं। लोगों को आश्रय स्थल तक ले जाने के लिए मनाते रहे, लेकिन लोगों ने बंधे पर ही अपना डेरा डाला। वहीं महुला-गढ़वल बंधे को बचाने के लिए बाढ़ खंड विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी। जनपद के कर्मचारियों को भी गड़बड़ बंधे पर तैनात कर दिया गया। जगह-जगह बंधे पर हुए गड्ढों को ट्रैक्टर व जेसीबी लगाकर पाटने के साथ वहां सैकड़ों बोरियों से रोकने का प्रयास किया जा रहा था। बाढ़ पीड़तों के बीच पहुंचे डीएम
जागरण संवाददाता, सगड़ी (आजमगढ़) : क्षेत्र के महुला-गढ़वल बाध पर पशुओं के साथ डेरा डालने वाले बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे जिलाधिकारी राजेश कुमार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी। डीएम ने उनकी समस्याओं के विषय में जानकारी ली। ग्रामीणों ने मिट्टी का तेल न मिलने की शिकायत की। इस पर डीएम ने तुरंत मिट्टी का तेल वितरित कराने का निर्देश दिया। कहा कि जिन लोगों ने बाध पर शरण लिया है उन्हें पका-पकाया भोजन देने की व्यवस्था की जाए। डीएम ने दावा किया कि 35 बाढ़ प्रभावित गावों में 159 नावों का संचालन किया जा रहा है।