आजमगढ़ में 47.07 करोड़ से स्थापित होगी विधि विज्ञान प्रयोगशाला
जागरण संवाददाता आजमगढ़ पूर्वांचल में वाराणसी के बाद आजमगढ़ में फोरेंसिक लैब (विधि विज्ञा
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: पूर्वांचल में वाराणसी के बाद आजमगढ़ में फोरेंसिक लैब (विधि विज्ञान प्रयोगशाला) की स्थापना की जानी है। स्वीकृति मिलने के बाद कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने निर्माण के लिए 47.07 करोड़ रुपये का डीपीआर(डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) शासन को भेज दी है। संभावना है कि नव वर्ष में धनराशि आवंटित हो जाएगी, जिसके बाद परियोजना का निर्माण शुरू हो जाएगा। नई व्यवस्था का लाभ मंडल के बलिया व मऊ जिले को भी मिलेगा।
शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से विधि विज्ञान प्रयोगशाला के लिए तहसील सदर के गंभीरवन में लगभग .032 हेक्टेयर(200 गुणे 160 मीटर) जमीन उपलब्ध कराई गई है। इसमें स्वायल (मिट्टी) टेस्टिग का कार्य भी शुरू कर दिया गया है, जिससे निर्माण के समय यह निर्धारित किया जा सके कि भवन की नींव कितनी गहराई तक होगी। जिले में प्रयोगशाला स्थापित होने के बाद न सिर्फ पुलिस की भागदौड़ बचेगी बल्कि आपराधिक घटनाओं के साक्ष्य जुटाने में भी मददगार साबित होगी।
फोरेंसिक लैब में यह होंगी सुविधाएं
फोरेंसिक लैब में रक्त, वीर्य, विस्फोटक, नारकोटिक्स, आग्नेयास्त्र, माइक्रो केमिकल आदि के प्रारंभिक परीक्षण की सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही बायलाजी, सिरोलॉजी, रसायन, विस्फोटक, नारकोटिक, आग्नेयास्त्र आदि से संबंधित प्रारंभिक परीक्षणों की सुविधा भी रहेगी।
दूसरे जिलों के लैब पर निर्भर पुलिस
आपराधिक घटनाओं में वैज्ञानिक साक्ष्यों का परीक्षण कराने के लिए जिला पुलिस दूसरे जिलों के फोरेंसिक लैब पर निर्भर है। समय से जांच रिपोर्ट न मिलने से विवेचनाएं अधर में लटक जाती हैं। दूसरे जिलों की लैब तक भागदौड़ करने में विवेचक भी कतराते हैं। लैब की स्थापना हो जाने के बाद पुलिस को इस स्थिति से गुजरना नहीं पड़ेगा।
साक्ष्य जुटाने के बाद समय से मिलेगी रिपोर्ट
वर्तमान में अपराध करने की नई तकनीक इस्तेमाल की जा रही है। अपराधियों के प्रयास होते हैं कि वारदात को अंजाम देने के बाद मौके पर पुलिस को कोई ऐसा सबूत न मिले जिससे उनका सुराग मिल सके। संगीन मामलों की विवेचना में पुलिस की परेशानी बढ़ जाती है। ऐसी विषम परिस्थितियों में वैज्ञानिक तरीकों से जुटाए साक्ष्य निश्चित रूप से पुलिस को अपराधियों तक पहुंचाने में सफलता प्रदान करते हैं। ऐसा तभी संभव है जब साक्ष्य जुटाने के बाद समय से रिपोर्ट आ जाए।
जिलों में श्रेणीवार लैब
वर्तमान में लखनऊ, आगरा, वाराणसी और मुरादाबाद में फोरेंसिक लैब हैं। सरकार की घोषणा के अनुसार कन्नौज, गाजियाबाद में 'ए' श्रेणी, झांसी, गोरखपुर, प्रयागराज और आजमगढ़ में 'बी' श्रेणी और फैजाबाद, देवीपाटन, अलीगढ़, गोंडा, बस्ती, चित्रकूट धाम, बांदा, मीरजापुर, बरेली व सहारनपुर में 'सी' श्रेणी का लैब स्थापित होगा।
'फोरेंसिक लैब की स्थापना के लिए जिला प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराई जमीन में स्वायल टेस्टिग का कार्य शुरू हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार जमीन निर्माण के लिए उपयोगी है। बजट की मंजूरी के लिए शासन को 47.07 करोड़ की डीपीआर भेज दी गई है। संभावना है कि जल्द ही धनराशि आवंटित हो जाएगी।
-विजय कुमार सिंह, अवर अभियंता, कार्यदायी संस्था।