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दूसरे के खाते से रुपये उड़ाने वाले पांच जालसाज गिरफ्तार

दूसरे के खाता से रुपये उड़ाने वाले पांच जालसाजों को गंभीरपुर पुलिस ने शुक्रवार को अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से पुलिस ने 2.10 लाख रुपये, एक होंडा एक्टिवा गाड़ी, मोबाइल समेत अन्य सामन बरामद किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 08:37 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 12:28 AM (IST)
दूसरे के खाते से रुपये उड़ाने वाले पांच जालसाज गिरफ्तार
दूसरे के खाते से रुपये उड़ाने वाले पांच जालसाज गिरफ्तार

आजमगढ़ : दूसरे के खाते से रुपये उड़ाने वाले पांच जालसाजों को गंभीरपुर पुलिस ने शुक्रवार को अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से पुलिस ने 2.10 लाख रुपये, एक एक्टिवा स्कूटी, मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया।

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एसपी सिटी कमलेश बहादुर ¨सह ने इस मामले से पर्दा उठाते हुए शनिवार को बताया कि गंभीरपुर थाना क्षेत्र के कटघर गांव निवासी किसान रामाश्रय प्रजापति पुत्र लुटई प्रजापति का खाता गोमाडीह गांव स्थित यूबीआइ की शाखा में है। उसके खाते से जालसाजी कर किसी ने विभिन्न तिथियों में कुल 32 लाख 30 हजार 20 रुपये निकाल लिए थे। 21 नवंबर को गंभीरपुर थाना में पीड़ित के मुकदमा दर्ज कराने के बाद से ही पुलिस इस मामले की जांच में लगी थी। छानबीन से जानकारी मिली कि घटना का मुख्य आरोपित मुसाफिर पुत्र हरिश्चंद्र ग्राम गड़हा थाना गंभीरपुर का निवासी है। वह यूबीआइ बैंक गोमाडीह शाखा का बैंक मित्र है। मुसाफिर के साथ गंभीरपुर थानाध्यक्ष अर¨वद कुमार पांडेय ने अन्य चार आरोपित सुक्खू यादव पुत्र स्व. हरिनाथ यादव ग्राम टेकमलपुर थाना गंभीरपुर, इम्तियाज उर्फ मिस्टर पुत्र मंसूर ग्राम फरिहा थाना निजामाबाद, श्यामलाल पुत्र निरहू ग्राम सुरजनपुर थाना गंभीरपुर व राजेश पुत्र जियालाल ग्राम बरवा जलालपुर थाना गंभीरपुर निवासी को शुक्रवार की शाम को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया। फोन-पे एप के माध्यम से उड़ाए थे 32.30 लाख रुपये

बैंक मित्र ही मुख्य जालसाज, अन्य कमीशन के लालच में फंसे

दूसरे के खाता से 32.30 लाख रुपये उड़ाने की घटना का मुख्य जालसाज उसी बैंक का बैंक मित्र ही निकला। एसपी सिटी की मानें तो वर्ष 2014-15 में जब बैंकों में तेजी के साथ जनधन खाता खुल रहा था तो उसी दौरान बैंक मित्र व घटना का मुख्य जालसाज मुसाफिर को बैंक से उन लोगों का मेल आइडी मिल गया जिनका खाता आधार कार्ड से ¨लक नहीं था। इसके बाद मुसाफिर ने बगैर आइडी के ही मोबाइल का सिम निकलवाया। इसके बाद उसने अपने एक साथी को यूबीआइ की शाखा गोमाडीह भेजकर किसान रामाश्रय प्रजापति के खाता पर उक्त मोबाइल नंबर को दर्ज करवा लिया। इसके बाद खाता से लेन-देन का मैसेज मुसाफिर के मोबाइल पर आने लगा। मुसाफिर के खाता में बड़ी रकम आने का इंतजार करने लगा। जब उसके खाता में काफी रुपये जमा हुए तो उसने फोन-पे एप पर उसके खाता नंबर का एकाउंट बना लिया। इसके बाद मुसाफिर रामाश्रय के खाता से प्रतिदिन एक-एक लाख रुपये निकालने लगा और उक्त रुपये को कमीशन का लालच देकर अपने कुछ साथियों के खाता में ट्रांसफर करने लगा। कमीशन देकर मित्रों के खाता से रुपये स्वयं हासिल कर लेता था। इस तरह से कर उसने 32 लाख 30 हजार रुपये निकाल लिये। इस रुपये से उसने अपनी मां के नाम भूमि का बैनामा कराया। परिवार के ही एक सदस्य के नाम एक्टिवा गाड़ी व सोना खरीदा। इसके बाद दिल्ली गया और पांच लाख रुपये अय्याशी में खर्च कर दिये। लौटकर आया तो पुलिस की उस पर नजर पड़ी। पूछने पर मुसाफिर ने बताया कि उसने एक युवक से इस तरह फ्राड करने का आइडिया सीखा था।


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