पान की दुकानों पर ई-सिगरेट, गलियों में हुक्का बार की धूम
पान की दुकानों पर ई-सिगरेट, गलियों में हुक्का बार की धूम
विकास विश्वकर्मा, आजमगढ़
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पहले गांव में हुक्का पीना शान-ओ-शौकत का हिस्सा हुआ करता था। वक्त बदला, बुजुर्ग तो दुनिया छोड़कर चले गए पर हुक्के ने नया आकार ले लिया। अब यह नए आकार में बाजार में ई-हुक्का के नाम से पांव पसार रहा है। शहर से लेकर गांवगिरांव तक हुक्का बार खुल रहे हैं, तो पान की दुकानों से लगायत अन्य छोटी-बड़ी दुकानों पर ई-सिगरेट बिक रहे हैं। इतना ही नहीं अब इसका बाजार भी सजने लगा है। हुक्का बार के नाम से रेस्टोरेंट आकार की दर्जनों दुकानें खुल गई हैं। मजे की बात है कि बाजार में मोडीफाई रूप फ्लेवर्ड और हर्बल हुक्का पीने से गार्जियन यानी अभिभावक भी अपने बच्चों को मना नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद भी बच्चों के साथ ¨मट, स्ट्राबेरी या इलायची फ्लेवर वाला हुक्का गुड़गुड़ा लेते हैं। यह मानकर कि हर्बल हुक्का में कोई साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह खासा नुकसानदायक है क्योंकि इसमें शीशा मौजूद है। कश के जरिए हजारों केमिकल शरीर में जाते हैं। ई-हुक्का की लत में तेजी से युवा आ रहे हैं। बहुतायत देशों में यह प्रतिबंधित है। मुबारकपुर के एक पान विक्रेता का तो यहां तक कहना है कि इसकी डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ी है। सिगरेट की आकार में आए ई सिगरेट कभी-कभी दुकान पर नहीं रहने पर अधिक कीमत देकर युवा इसको मंगाने को कहते हैं। दूसरी तरफ ई-हुक्का बार से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि हर्बल हुक्का में कोई नशे की सामग्री नहीं है, लेकिन यह जरूर मानते हैं कि युवा इसके लिए बार-बार यहां आते हैं। वहीं युवाओं का कहना है कि यह तो अब स्टेटस ¨सबल है। रही बात इसके वैध होने या न होने की तो अभी तक पुलिस प्रशासन के पास कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। अरेबियन देशों से आया हुक्का बार की संस्कृति
हुक्का बार संस्कृति अरेबियन देशों से यहां आया। आहिस्ता-आहिस्ता यह यहां भी स्थापित हो रहा है। शहर ही नहीं अब यह गांव तक पहुंच गया है। चीन की बनी सिगरेट आकार का हुक्का तो पान की दुकानों पर भी मौजूद है। चार्जरयुक्त सिगरेट आकार के ई-हुक्का संग अलग से इसका रसायन भी मिल रहा है, जो इसमें डाल कर पीने में इस्तेमाल हो रहा है।
अलग अलग फ्लेवर में मौजूद है हुक्का
बाजार में ग्राहकों को लुभाने के लिए अलग-अलग फ्लेवर भी ई हुक्का के हैं। इसमें मुख्य रूप से वनीला, गुलाब, जासमीन, शहद, आम, स्ट्रेबेरी, तरबूज, पुदीना, ¨मट, चेरी, नारंगी, रसभरी, सेब, एप्रीकोट, चाकलेट, मुलेठी, काफी, अंगूर, पीच, कोला, बबलगम, पाइन एपल आदि।
हर कश में चार हजार रसायन
जानकारों की मानें तो शीशा के हर कण में रसायन होते हैं। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। जो केवल हुक्का पीने वाले को नहीं, बल्कि आस-पास बैठे लोगों को भी उतना ही नुकसान करता है। इससे अस्थमा अटैक, ब्रांकाइटिस, लंग्स कैंसर, प्लीहा कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, हार्ट डिजीज सहित भूलने की बीमारी हो सकती है। ''हुक्के में उपयोग होने वाले फ्लेवर की क्वालिटी की जांच संभव है। बशर्ते इसका उपयोग सालिड-लिक्विड फार्म में हो रहा हो। जांच में गड़बड़ी मिलने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 प्राविधानों के तहत कार्रवाई संभव है। इसकी जांच होगी।''
-डा. दीनानाथ यादव, जिला अभिहित अधिकारी