पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका दुर्वासा धाम
जागरण संवाददाता फूलपुर (आजमगढ़) तमसा-मंजूषा के संगम पर स्थित महर्षि दुर्वासा ऋषि का आश्रम।
जागरण संवाददाता, फूलपुर (आजमगढ़): तमसा-मंजूषा के संगम पर स्थित महर्षि दुर्वासा ऋषि का आश्रम। सती अनुसूइया के पुत्र की तपोस्थली पर कार्तिक पूर्णिमा सहित विभिन्न त्योहारों पर मेला लगता है। बावजूद इसके पर्यटन स्थल के रूप में इसका विकास नहीं हो सका।
ऋषि दुर्वासा का मंदिर फूलपुर तहसील के बनहर मय चक गजड़ी गांव में तमसा नदी के किनारे है। मंदिर और घाटों के सुंदरीकरण के साथ पर्यटन स्थल के रूप विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से धन आवंटित होता है। लेकिन सब कुछ दुर्वासा गांव स्थित शिव-मंदिर, तमसा-मंजूषा संगम क्षेत्र में होता है। मन्नत ऋषि दुर्वासा से मांगी जाती, सब कुछ बाबा के नाम से होता है, लेकिन उनकी तपोस्थली का विकास नहीं हो रहा है। बाबा धाम की उपेक्षा से असंतुष्ट मंदिर के महंत अनिरुद्ध उर्फ अवध बिहारी दास ने क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी को पत्र लिखा कि फूलपुर तहसील स्थित तपोभूमि प्राचीन दुर्वासा मंदिर पर विकास कार्य नहीं हो रहा है, जिसका सुंदरीकरण किया जाए। पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार तपोस्थली पर कार्य हो रहा। जबकि मंदिर के महंत के अनुसार सूचना गलत दी गई है कि दुर्वासा मंदिर क्षेत्र का विकास कार्य हो रहा है।
सीढि़यां हो गई हैं क्षतिग्रस्त, श्रद्धालुओं को परेशानी
प्राचीन मंदिर फूलपुर तहसील क्षेत्र में पड़ता है। सीढि़यां काफी क्षतिग्रस्त हो गई हैं।जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। महर्षि दुर्वासा तमसा-मंजूषा के संगम पर स्नान के बाद निजामाबाद स्थित दत्तात्रेय धाम पर शिव मंदिर में पूजा करते थे। उसके बाद अपनी तपोस्थली पर जाते थे।
बनहर मय चक गजड़ी में मंदिर के नाम काफी जमीन
बनहर मय चक गजड़ी में ऋषि दुर्वासा मंदिर के नाम काफी जमीन भी है। जो न तो ठाकुर जी और ना ही राम-जानकी मंदिर के नाम है। महंत के चेला बाबा स्वारथ दास मंदिर दुर्वासा के नाम है। यही हाल रहा तो प्राचीन मंदिर के अवशेष ही देखने को मिलेगा। महंत सहित बनहर मय चक गजड़ी के निवासी सरकार और प्रशासन से पर्यटन स्थल दुर्वासा मंदिर क्षेत्र का कराने की मांग की है।