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हार नहीं मानी, हौसले के बूते बनाया मॉडल तालाब

जल ही जीवन है। जल तत्व के बिना जीवन की कल्पना भी बेमानी है। इन सभी को आत्मसात करते हुए मेढ़ी गांव निवासी संजय गिरी आज जल संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं। घटते जल संसाधनों की समस्या से जूझ रहे हैं तो कई वर्ष पुराना मेढ़ी गांव का यह तालाब जल संरक्षण की मिसाल बना हुआ है। तालाब की सुंदरता लोगों को सीख दे रहा है कि आखिर कैसे खुद के प्रयास से सबकुछ बदला जा सकता है। बिना किसी सरकारी मदद के संजय गिरी ने इस तालाब को जीवित रखा है। साथ ही इसकी सुंदरता को बढ़ाया जिससे रोज सैकड़ों लोग यहां घूमने आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 10:07 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 10:58 PM (IST)
हार नहीं मानी, हौसले के बूते बनाया मॉडल तालाब
हार नहीं मानी, हौसले के बूते बनाया मॉडल तालाब

आजमगढ़ : हौसला बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया मेढ़ी गांव निवासी संजय गिरी ने। जल संरक्षण को लेकर बहुत हो-हल्ला मचा। संजय ने भी बड़ी उम्मीदें सरकार से लगाई, लेकिन जब कुछ खास कामयाबी नहीं मिली तो स्वयं तालाब बनाने की ठान ली। आज मेढ़ी का तालाब संजय के नाम से जाना जाता है और एक मॉडल तालाब है।

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तालाब की सुंदरता देखने लायक है। बिना किसी सरकारी मदद के संजय गिरी ने इस तालाब को जीवित रखा है। इसकी सुंदरता चार चांद लगाने के सभी उपाय कर रखे हैं। अब यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। अब यहां सैलानियों की भीड़ जुटती है। घंटों यहां बैठकर लोग सुकून महसूस करते हैं। मछली को चारा खिलाकर निहाल होते हैं। संजय गिरी ने अपने पूर्वज स्व. किशुन गिरी के सपने को साकार करने के लिए यह कदम उठाया। पहले उसने सरकार से मदद की सोची, लेकिन कोई राह नहीं निकली तो स्वयं इस कार्य में जुट गए। इस पोखरे का निर्माण वर्ष 2006 में स्वयं की निजी भूमि देकर शुरू किए। लगभग छह साल में इसका निर्माण हुआ। इसकी सुंदरीकरण के लिए चारों तरफ सीढि़यां बनाई गईं हैं। बगल में भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया गया है। पोखरे के बगल में पहाड़ बनाया गया है जिस पर भगवान शिव की प्रतिमा रखी गई है जो लोगों का मन मोह लेती है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग पूजापाठ करने आते हैं। बैठने के लिए जगह-जगह चबूतरे बनाए गए हैं। जल संरक्षण के लिए खोदा गया यह पोखरा पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य करता है। पोखरा पानी से हमेशा लबालब भरा रहता है। हालांकि इस पोखरे में स्नान करना वर्जित है। इसमें मछली पालन का भी कार्य किया गया है। शाम होते ही कुछ लोग यहां मछलियों को दाना खिलाने के लिए जुट जाते हैं। दशहरा एवं छठ में इस तालाब के किनारे मेले सरीखा दृश्य रहता है। यह जिले के आदर्श तालाब की फेहरिश्त में शामिल है।


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