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मुख्यमंत्री जी, जरा इधर भी हों नजरें इनायत

मुख्यमंत्री जी जिले के विकास के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जिनका जमीन स्तर पर क्रियान्वयन सिर्फ खानापूर्ति ही है। साथ ही संसाधनों के अभाव में कई ऐसी व्यवस्थाएं हैं जिसका सफल संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इसका प्रभाव न सिर्फ जनपदवासियों बल्कि बाहर से आने वाले लोगों पर भी पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 10:44 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 06:24 AM (IST)
मुख्यमंत्री जी, जरा इधर भी हों नजरें इनायत

हाईलाइटर--

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मुख्यमंत्री जी, जिले के विकास के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जिनका जमीन स्तर पर क्रियान्वयन सिर्फ खानापूर्ति ही है। साथ ही संसाधनों के अभाव में कई ऐसी व्यवस्थाएं हैं जिसका सफल संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इसका प्रभाव न सिर्फ जनपदवासियों बल्कि बाहर से आने वाले लोगों पर भी पड़ रहा है। विश्वविद्यालय स्थापना को मंजूरी पर नहीं मिली भूमि

बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जिले में विश्वविद्यालय स्थापना की मांग अरसे से चल रही है। इसके लिए कई महीनों तक अभियान भी चला। धरना-प्रदर्शन भी हुए। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले विश्वविद्यालय आंदोलन से जुड़े लोगों को आश्वासन भी दिया गया। कैबिनेट की बैठक में मंजूरी भी मिल गई लेकिन प्रशासन स्तर से अभी तक 50 एकड़ जमीन नहीं मिल सकी जिसमें कि विश्वविद्यालय की स्थापना हो सके। ओडीओपी चयन तक सिमटी ब्लैक पॉटरी

निजामाबाद के विश्व प्रसिद्ध परंपरागत कारोबार ब्लैक पॉटरी को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना को अंतर्गत चयन किया गया। मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अलावा विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से भी जोड़ा गया लेकिन इन योजनाओं को जितना लाभ हस्तशिल्पियों को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है। बैंकों से ऋण और उत्पाद के प्रचार-प्रसार की व्यवस्था नहीं है। गोवंश आश्रय स्थल की बदहाल व्यवस्था

मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित पशुओं को स्थाई व अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल में सुरक्षित रखना। अभी तक जिले में कई स्थानों पर कान्हा गोशाला की स्थापना के लिए भूमि चिह्नित की गई लेकिन निर्माण एक का भी नहीं हुआ। जिले के 22 विकास खंड व 13 नगर निकायों में कई अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं। पूरी गर्मी वहां रखे निराश्रित पशु तपड़ते रहे। शेड, पानी व चारा की समुचित व्यवस्था न होने से कई पशुओं की मौत भी हो गई। 70 करोड़ खर्च फिर स्थिति जस की तस

पूर्ववती सरकार ने अंडरग्राउंड केबिल बिछाने के लिए 70 करोड़ रुपये दिया था। अंडरग्राउंड केबिल मानक के विपरीत बिछा भी दी गई लेकिन अब जगह-जगह स्पार्किंग कर ब्रस्ट हो रही है। इसकी वजह से सारी शहर की विद्युत व्यवस्था चरमरा गई है। विभाग अब फिर से ऊपर से तार ले जाकर नए सिरे से विद्युत व्यवस्था बहाल कर रहा है। कुल मिलाकर अंडरग्राउंड केबिल बाक्स शहर में शो पीस बने हुए हैं। पेयजल का भी संकट

शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल स्तर लगातार घटता रहा है। ऐसे में शहर में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। शहर में लगे प्याऊ पूरी तरह से शो पीस बने हुए हैं। कहीं भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। जलस्तर घटने से तमाम हैंडपंप पानी छोड़ दे रहे हैं। इस समस्या की तरफ भी किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। ऐसे में पानी के लिए बड़ी योजना की जरूरत है।


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