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विद्यालय भवन जर्जर, पेड़ों के नीचे लगती पाठशाला

अंकित शुक्ला औरैया शासन प्रशासन सरकारी विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाकर शिक्षा की गुणवत्ता स

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 11:34 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 06:28 AM (IST)
विद्यालय भवन जर्जर, पेड़ों के नीचे लगती पाठशाला
विद्यालय भवन जर्जर, पेड़ों के नीचे लगती पाठशाला

अंकित शुक्ला, औरैया : शासन प्रशासन सरकारी विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाकर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात कहकर स्वयं की पीठ थपाथपा रहा है, लेकिन जनपद में करीब 100 जर्जर विद्यालयों में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इसके बावजूद इनकी मरम्मत के लिए लापरवाह अधिकारी कोई प्रयास नहीं कर रहे। कई विद्यालयों में अध्यापक बच्चों की सुरक्षा के लिए क्लास रूम से बाहर पेड़ों के नीचे पाठशाला लगा रहे हैं।

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जनपद में 1063 प्राथमिक व 453 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से 100 परिषदीय विद्यालयों के भवन जर्जर हैं। इनमें कहीं एक कमरे तो कई जगह पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसी हालात में बच्चे कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से कैसे मुकाबले को तैयार होंगे? बेसिक शिक्षा विभाग के रिकार्ड में केवल 30 विद्यालयों के भवन खस्ताहाल व जर्जर अवस्था में हैं जबकि हकीकत में करीब 100 भवनों की हालत खस्ता है। केस- 1

औरैया विकास खंड क्षेत्र के कन्या प्राथमिक विद्यालय भीखमपुर में तीन कमरे हैं। दो पूरी तरह से बेकार हो चुके हैं। तीसरे कमरे में भी थोड़ी सी ही बरसात में छत टपकने लगती है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक अवधेश कुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों को जर्जर भवन के बारे में लिखा, लेकिन किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। जिस कमरे में बच्चों को पढ़ाते हैं उसका प्लास्टर गिरने लगा है। खौफ के कारण अभिभावक बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते हैं। यहां वर्तमान में 60 बच्चे पंजीकृत हैं। उनके अलावा दूसरा कोई शिक्षक भी नहीं है। केस- 2

औरैया नगरीय क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पढ़ीन दरवाजा में 43 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां प्रधानाध्यापक के पास दो विद्यालयों का चार्ज है। शिक्षामित्र ललिता ने बताया कि कई बार विद्यालय की मरम्मत के लिए एनपीआरसी व एबीएसए को अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। केस- 3

अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय शहाब्दा में 186 बच्चे पंजीकृत हैं। प्रधानाध्यापक रोहित उपाध्याय ने बताया कि विद्यालय में भवन के नाम पर चार कमरे हैं। वह पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। इसके अलावा एकल कमरों में संख्या के मुताबिक बच्चे नहीं आते हैं। यहां लेंटर की सरिया तक नीचे आ गई है। कमरों में बुरी तरह से दीमक लगी है। एक साल से मरम्मत के लिए एबीएसए, बीएसए को पत्र लिखा जा रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। क्या कहते हैं जिम्मेदार

ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों को कायाकल्प योजना के तहत दुरुस्त कराया जाएगा। नगरीय क्षेत्रों के विद्यालयों के लिए शासन को अवगत कराया गया है। बजट मिलते ही इन्हें भी सही कराया जाएगा।

एसपी सिंह, बीएसए


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