परमात्मा के स्मरण से दूर होंगी सभी बाधाएं
संवाद सूत्र,अछल्दा: कस्बा स्थित हनुमान मंदिर परिसर में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा के चौथे दिन वामन
संवाद सूत्र,अछल्दा: कस्बा स्थित हनुमान मंदिर परिसर में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा के चौथे दिन वामन अवतार, समुद्र मंथन, श्री कृष्ण जन्म का मार्मिक वर्णन किया गया। कृष्ण जन्म प्रसंग के समय श्रद्धालु आतिशबाजी चलाकर बैंड बाजों की भक्ति धुनों पर थिरकते नजर आए।
आचार्य पं. महेश चंद्र शास्त्री ने कहा मनुष्य जितना समय अपने परिवार के भरण पोषण में और स्वयं के संवारने में लगाता है उससे कम समय यदि वह परमात्मा के स्मरण में लगा दे तो उसका उद्धार हो जाएगा। गज ग्राह्य की कथा वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि त्रिकुटाचल पर्वत पर निवास करने वाले गजराज अपने परिवार के साथ
सरोवर में जल ग्रहण करने पहुंचे। कुछ समय के लिए वह जल क्रीड़ा करने लगे। उसी समय ग्राह्य ने आकर उनके पैर को अपने जबड़ों में ले लिया। यह देख गज के साथ गया परिवार उन्हें उसी हालत में छोड़ चलता बना। गज ने ईश्वर से जीवन दान की आराधना की। भक्त की पुकार सुन परमात्मा पिता ने उसे बंधन से मुक्त करा प्राणों की रक्षा की। भगवताचार्य ने कहा कि इसलिए परिवार के साथ भी रहे, परंतु परमात्मा को नहीं छोड़ें, क्योंकि जब जीव का कोई साथ नहीं देता उस समय परमात्मा ही साथ देते हैं। उन्होंने कहा कृष्ण जन्म का आशय यह है कि भगवान अपने लिए नहीं परंतु भक्तों के लिए अवतार लेते हैं। महिला मंडल ने भगवान के लिए छप्पन भोग भी लगाए। माखन मिश्री का भोग भी लगाया और जन्म उपरांत सामूहिक आरती की गई। बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।