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बिना खिड़की व वाइपर के फर्राटा भर रहे मौत के ताबूत

जागरण संवाददाता औरैया अक्सर लोग सुरक्षित यात्रा के फेर में परिवहन निगम की बसों से यात्रा क

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 10:27 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 06:27 AM (IST)
बिना खिड़की व वाइपर के फर्राटा भर रहे मौत के ताबूत

जागरण संवाददाता, औरैया : अक्सर लोग सुरक्षित यात्रा के फेर में परिवहन निगम की बसों से यात्रा करने को अधिक तरजीह देते हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब इनसे यात्रा करना खतरनाक हो सकता है। औरैया डिपो की आधे से अधिक बसें जर्जर हैं। इनमें खिड़की और वाइपर तक नहीं हैं। ऐसी बसें मौत का ताबूत बनकर दौड़ रही हैं। ये यात्रियों के लिए कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकती हैं।

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औरैया डिपो की लगभग 35 गाड़ियां 10 लाख किमी. से अधिक यात्रा पूरी कर चुकी हैं। मरम्मत के भरोसे यह यात्रियों को छो रही हैं। कई बसों में बरसात का मौसम आने के बावजूद वाइपर नहीं लगे हैं। ऐसे में बारिश होने पर चालक उनके शीशे साफ नहीं कर पाएंगे। इस स्थिति में दुर्घटना होने पर चालक, परिचालकों के साथ यात्रियों को भी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। इसके अलावा बड़ी संख्या में बसों की खिड़कियां ही गायब हैं। यात्रा के दौरान बच्चे या कोई अन्य यात्री यदि इनसे हाथ बाहर निकालता है तो उसके साथ दुर्घटना होने के अलावा उसकी जान को भी संकट हो सकता है।

क्या कहते हैं यात्री

बसों की हालत बहुत जर्जर है। सुरक्षा की ²ष्टि से ज्यादातर लोग रोडवेज बसों से यात्रा करते हैं। लेकिन जर्जर बसों से यात्रा करना अब अपनी जान को स्वयं संकट में डालना है। अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

बाबूराम, यात्री एमएसटी व स्मार्ट कार्ड धारकों के लिए इन बसों में यात्रा करना मजबूरी है। गाड़ियों में अव्यवस्थाओं के कारण अब इनसे यात्रा करने में डर लगने लगा है। रोडवेज बसों में कई कमियों के कारण यात्रा करते समय प्राण संकट में लगते हैं।

डीके पाल, यात्री रोडवेज बसों में ज्यादा किराया भी अदा करना पड़ता है, लेकिन सुविधाओं का खासा अभाव है। टूटी खिड़कियों और बिना वाइपर की बसों से यात्रा करना बहुत जोखिम भरा है। परिवहन निगम यात्रियों की सुविधा की जगह अपनी जेब भरने में अधिक ध्यान दे रहा है।

राम कुमार, यात्री

क्या कहते हैं जिम्मेदार

नई बसों में यह सुविधा उपलब्ध है। पुरानी गाड़ियों में वाइपर व छतों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलने पर उन्हें दुरुस्त करा दिया जाएगा।

एसके नागर, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक


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