जनपद में एसपी का नो हेलमेट नो पेट्रोल फार्मूला फेल
जागरण संवाददाता औरैया जनपद में एक नवंबर से यातायात माह की शुरुआत हो चुकी है। दोपहिय
जागरण संवाददाता, औरैया: जनपद में एक नवंबर से यातायात माह की शुरुआत हो चुकी है। दोपहिया वाहनों में पीछे बैठने वाले व्यक्ति को भी हेलमेट लगाना अनिवार्य हो गया है। पूर्व में डीएम व एसपी सुनीति की ओर से शुरू किया गया नो हेलमेट नो पेट्रोल का फार्मूला फेल हो गया है। बिना हेलमेट के ज्यादातर पेट्रोल पंपों में पेट्रोल दिया जा रहा है।
जिले में यातायात के प्रति जागरुकता व लोगों की सुरक्षा के लिए डीएम अभिषेक सिंह व एसपी सुनीति के निर्देश पर जुलाई माह में नो हेलमेट नो पेट्रोल का फरमान जारी किया गया था। जिसका कुछ दिनों तक असर रहा। लोगों ने हेलमेट लगाना शुरू कर दिया था। समय बीतने के साथ इसको नजर अंदाज कर दिया गया। एक नवंबर से यातायात माह की तो शुरुआत हो चुकी है, लेकिन नो हेलमेट नो पेट्रोल अभियान ठंडे बस्ते में चला गया है।
ग्रुप बनाकर पेट्रोल पंप कर्मियों को डालनी थी फोटो
नो हेलमेट अभियान की जब शुरुआत की गयी थी तो एसपी सुनीति ने पेट्रोल पंप कर्मियों को निर्देश दिया था कि जो लोग बिना हेलमेट बाइक में पेट्रोल डलवाने आएं पंप कर्मी उसका फोटो खींचकर ग्रुप में डालेंगे और पुलिस उन वाहनों का ई-चालान करेगी, लेकिन न तो पंप कर्मी पुलिस के साथ बने उनके ग्रुप में फोटो नहीं डाल रहे हैं। समय बीतने के साथ फरमान भी भूल गए। वर्जन-
समय समय पर पेट्रोल पंपों की चेकिग की जाती है। एक बार फिर से नो हेलमेट नो पेट्रोल अभियान को लागू किया जायेगा।
अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी नियम तोड़ने पर 31 वाहनों का चालान
औरैया: यातायाता माह के दूसरे दिन शहर के अलग-अलग स्थानों में हेलमेट व सीटबेल्ट के लिए चेकिग अभियान चलाया गया। हेलमेट व सीटबेल्ट न लगाने पर 31 वाहनों का चालान काटा गया।
शनिवार को कई स्थानों पर चेकिग कर वाहनों का चालान किया गया। टीएसआई अंकित शर्मा ने बताया कि हेलमेट न लगाने पर 25 व सीट बेल्ट न बांधने पर छह वाहनों का चालान किया गया है। इस दौरान दो हजार रुपये समन शुल्क वसूला गया है। सांसद की आवभगत में ट्रैफिक नियम भूली पुलिस
एक तरफ यातायात माह के दौरान पुलिस लोगों को यातायात नियमों के पालन को जागरूक कर रही है। वहीं दूसरी ओर शनिवार को सांसद की पदयात्रा के दौरान पुलिस उनकी आवभगत में लगी नजर आई। जब सांसद सुभाष चौक से गुजरे तो उनकी गाड़ी में बैठे ड्राइवर व आगे की सीट पर बैठे पुलिसकर्मी ने सीट बेल्ट लगाना जरूरी नहीं समझा। पुलिस कर्मियों ने न तो उनको यातायात नियमों का पाठ पढ़ाया न ही कार्रवाई की बात कहने की हिम्मत जुटा सके।