गरीबी उन्मूलन: चाक संग घूमी किस्मत, माटी बन गई 'सोना'
फोटो- 1 अंकित शुक्ला, औरैया : अजीतमल ब्लाक की ग्राम पंचायत मोहारी में चाक पर मिट्टी के ब
फोटो- 1
अंकित शुक्ला, औरैया :
अजीतमल ब्लाक की ग्राम पंचायत मोहारी में चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार देतीं शोभा इसकी जीवंत परिभाषा हैं कि गरीबी की बेड़ियां इतनी भी मजबूत नहीं कि उन्हें तोड़ा न जा सके। बस जरूरत है तो गरीबी को हराने की सोच और दृढ़ संकल्प की। अब शोभा ही नहीं बल्कि उनकी पहल के कारण 11 और महिलाएं अपने घर का मजबूत सहारा बन गई हैं। चाक संग इनकी किस्मत भी ऐसी घूमी कि इनके लिए माटी 'सोना' साबित हो रही है।
शोभा ने बचपन से ही माटी के मोल को बखूबी समझा हैं। उनके पिता भी मिट्टी के बर्तन बना परिवार का भरण पोषण करते थे। पिता से मिली विरासत को शोभा अपनी ससुराल में भी आगे बढ़ा रही हैं। इस काम में उनके पति कमलेश भी उसका पूरा सहयोग कर रहे हैं। वह मिट्टी के बर्तन बनाकर प्रत्येक माह 10 से 15 हजार रुपये कमा रही हैं। इसी तरह का बदलाव उनके समूह से जुड़ीं महिलाओं के जीवन में भी आया है।
गरीबी में जीवन यापन करना शोभा के लिए काफी दुखदायी रहा है। एक समूह ने उनकी ¨जदगी में उम्मीद की नई किरण लाने का काम किया। डीआरपी सौरभ पांडेय ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत दिए जाने वाले फायदों की जानकारी दी, जिसे शोभा ने सही से समझा और जय बजरंग बली महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह में गांव की 11 महिलाओं को भी जोड़ा। मिले ऋण से शोभा ने मिट्टी के बर्तन बनाने को अपना रोजगार बनाया। वह मिट्टी के बर्तन बनाकर बाजारों में सप्लाई करती हैं। इस काम में परिवार के सदस्य भी पूरा योगदान देने का काम रहे हैं।
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चार हजार रुपये लेकर शुरू किया काम
शोभा ने समूह के माध्यम से अजीतमल के अनंत राम पूर्वाचल बैंक से चार हजार रुपये का ऋण लिया। उससे उसने मिट्टी के बर्तन बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद धीरे-धीर बर्तन बाजारों में जाने लगे। बाजार में मांग बढ़ने से अब व्यापारी स्वयं शोभा से मिलकर मिट्टी के बर्तन खरीदने का काम कर रहे हैं।
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बच्चों को अधिकारी बनाना हैं सपना
ससुराल पहुंचने के बाद शोभा घर-गृहस्थी के काम देखने लगीं। इसी दौरान पति बीमार हो गए और उनकी प्राइवेट नौकरी भी छूट गई। परिवार में दो बेटी व एक बेटा भी है जिन्हें अच्छी शिक्षा देकर अधिकारी बनाने का सपना शोभा ने ठाना है।