लॉकडाउन से अब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में हुआ इजाफा
जागरण संवाददाता औरैया कोरोना महामारी ने लोगों की जीवन शैली में बड़े बदलाव किए हैं। ि
जागरण संवाददाता, औरैया: कोरोना महामारी ने लोगों की जीवन शैली में बड़े बदलाव किए हैं। जिससे हर कदम पर लोग इससे बचने को लेकर कारगार उपाय अपना रहे हैं। वहीं महामारी में सरकार के डिजिटल भारत अभियान की तरफ भी लोग बढ़ रहे हैं जो कि उन्हे महामारी में सुरक्षा दे रहा है।
ऑनलाइन खरीदारी हो या चाय की दुकान पर चुस्की लेना सभी जगहों पर लोग ऑनलाइन पेमेंट कर रहे हैं। यहीं कारण है कि छोटे-छोटे दुकानदार भी ऑनलाइन लेन-देन डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं। डिजिटल पेमेंट लोगों को रूझान तेजी से बढ़ा है जिससे जनपद में लगभग 50 फीसद लोग ऑनलाइन पेमेंट कर रहे हैं। अब तो शहर में चाय वाला भी पेटीएम से आनलाइन पेमेंट करवा रहे हैं जिससे संक्रमण से बच सके। शहर के सत्तेश्वर मोहल्ला निवासी युवक एलक चंद्र पोरवाल चाय की दुकान चलाते हैं। उनका कहना है कि मेरी दुकान पर जो भी लोग चाय पीने आते मैं उनसे डिजिटल पेमेंट ही मांगता हूं। जब किसी के पास सेवा नहीं होती तब नकद रूपये लेता हूं। ज्यादातर लोग आनलाइन पेमेंट ही करते हैं। जिसमें युवा सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता देते हैं। माइक्रो एटीएम से हुआ करोड़ो का भुगतान
लॉकडाउन हो गया तो लोगों घर में भुगतान के लिए कई तरह की सुविधाएं लोगों को दी गई जिसमें डाक विभाग ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमें माइक्रो एटीएम के जरिए लोगों को करोड़ो रूपये का ट्रांजेक्शन किया गया। प्रभारी पोस्ट मास्टर अतर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन और अनलॉक में अब तक आधार सक्षम भुगतान प्रणाली और माइक्रो एटीएम के जरिए घर बैठे लगभग 26 हजार लोगों ने 5.10 करोड़ का भुगतान प्राप्त किया है। यह सुविधा लोगों माइक्रो एटीएम एप के जरिए दी गई जिसमें किसी भी खाताधारक के मोबाइल नंबर ओटीपी के जरिए दी गई। यह सेवा पूरी तरह से निश्शुल्क है। कोई भी संक्रमित चीज छूने से कोरोना फैल सकता है। सभी को महामारी से बचाव करना चाहिए। मैं तो अब बाजार में डिजिटल लेनदेन करता हू जिससे कोरोना से बचाव करने में मददगार साबित हो रहा है।
अनीस सिद्दीकी अब तो कहीं भी जाएं छोटी-छोटी दुकानों पर भी लोग डिजिटल पेमेंट की मांग कर रहे है। यह अच्छी पहल हैं जिससे लोग डिजिटल लेनदेन के लिए जागरूक हो रहे हैं महामारी में इससे लोगों बैंकों के बाहर लाइन में नहीं लगना पड़ता है।
संदीप सविता