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औरैया की विशेष कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, नौ दिन रोज सुनवाई...और मासूम के दुष्कर्मी को उम्रकैद की सजा

औरैया में चार वर्षीय मासूम से दुष्कर्म मामले में लगातार आठ दिनों तक सुनवाई कर विशेष न्यायाधीश पाक्सो राजेश चौधरी ने आरोपित को दोषी करार दिया और 9 वें दिन उम्रकैद की सजा सुनाई।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 11:50 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 09:34 AM (IST)
औरैया की विशेष कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, नौ दिन रोज सुनवाई...और मासूम के दुष्कर्मी को उम्रकैद की सजा

औरैया, जेएनएन। चार वर्षीय मासूम से दुष्कर्म मामले में लगातार आठ दिनों तक सुनवाई कर विशेष न्यायाधीश पाक्सो राजेश चौधरी ने आरोपित को दोषी करार दिया और 9 वें दिन उम्रकैद की सजा सुनाई। उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना किया गया है। यह फैसला उत्तर प्रदेश का इतिहास बन गया, क्योंकि घटना के महज 28 दिन में दोषी को सजा सुना दी गई।

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वादी ने पुलिस को बताया था कि उसकी चार वर्षीय बेटी आंगनबाड़ी में पढ़ती है। एक अगस्त को लंच के समय वह पड़ोसी श्यामवीर के घर के पास खेल रही थी। श्यामवीर बच्ची को अपने घर ले गया और उससे दुष्कर्म किया। किसी तरह छूटकर घर आई लहूलुहान बच्ची ने घटना की जानकारी मां को दी। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपित को जेल भेज दिया था। मामले में विवेचक ने महज 20 दिन में जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हो गई।

विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो जितेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि एक दिन में तीन-तीन गवाही हुई। नौ गवाहों के बयान दर्ज कर न्यायालय ने सजा सुना दी। जेल में निरुद्ध श्यामवीर को इटावा जेल भेज दिया गया था। 40 पेज के फैसले में न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि जुर्माने की रकम पीड़िता को उसके इलाज में हुए खर्च व पुनर्वासन के लिए दी जाए। दोषी श्यामवीर के इस कुकृत्य के कारण परिवारीजन ने भी पैरवी नहीं की। निर्णय के समय वादी व दोषी, दोनों पक्ष से कोई भी न्यायालय में मौजूद नहीं था।

बारिश में फंसे गवाह के लिए एसपी ने भेजी थी गाड़ी
बताते हैं कि इस मामले में एक गवाह बारिश के चलते फंस गया था। इसकी जानकारी पुलिस अधीक्षक सुनीति को हुई तो उन्होंने उसके लिए तुरंत गाड़ी भेजी और उसे बुलवाकर कोर्ट में गवाही के लिए प्रस्तुत किया। इस मामले में पुलिस की तेजी ने भी त्वरित निर्णय में अदालत की मदद की।

नहीं था कोई वकील, शासन ने नियुक्त किया था न्यायमित्र
श्यामवीर की ओर से कोई वकील नहीं था। उसकी पैरवी के लिए न्यायमित्र प्रीती गुप्ता को शासन ने अधिकृत किया था। विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो जितेंद्र सिंह तोमर व एडीजीसी चंद्रभूषण तिवारी की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुना दिया।

यूं चली कार्रवाई
01 अगस्त : घटना हुई और बेला थाने में मुकदमा दर्ज हुआ।
20 अगस्त : पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।
28 अगस्त : आरोपित को दोषी करार दिया गया।
29 अगस्त : अदालत ने रोजाना सुनवाई के बाद सजा सुनाई।

...देश में और भी हैं उदाहरण

  • वर्ष 2018
  • मध्य प्रदेश के उज्जैन में 15 अगस्त 2018 को चार साल की बच्ची से रेप के मामले में 14 वर्षीय किशोर को चार्जशीट दाखिल करने के 24 घंटे और घटना के छह दिन के भीतर फैसला दिया। आरोपित को दो साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया
  • मध्य प्रदेश के दतिया में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में अदालत ने दोषी को महज 3 दिन की सुनवाई के बाद घटना के 27वें दिन मौत होने तक कैद की सजा सुनाई
  • राजस्थान के झुंझुनू में दो अगस्त को तीन साल की मासूम के साथ फेरी वाले ने दुष्कर्म किया था। घटना के 28वें दिन फैसला आया। आरोपित को फांसी की सजा सुनाई गई।
  • मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दो साल की मासूम बच्ची के साथ रेप करने वाले एक शख्स को 27 दिन की सुनवाई और घटना के 40 दिन के भीतर फांसी की सजा सुनाई।
  • मध्य प्रदेश के सागर जिले में रेप के मामले में महज 46 दिन में ट्रायल पूरा कर आरोपित को मौत की सजा सुनाई गई।
  • वर्ष 2019 में
  • भोपाल की विशेष अदालत ने 8 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को घटना के 32वें दिन सजा-ए-मौत का फैसला सुना दिया।

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