ट्रेनों में भी चुनावी शोर, हर कोई मांगे 'मोर'
- टूंडला से कानपुर जाने वाली पैसेंजर में बोगी के अंदर मुद्दों पर बात - यात्री बोले हर बार वादे त
- टूंडला से कानपुर जाने वाली पैसेंजर में बोगी के अंदर मुद्दों पर बात
- यात्री बोले, हर बार वादे तो किए जाते हैं, पर नतीजा नहीं मिलता
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इन दिनों हर तरफ चुनावी चर्चा जोर पकड़े हुए है। चाहे चाय की दुकान हो या फिर रोडवेज स्टैंड या फिर रेलवे स्टेशन। एक्सप्रेस से लेकर पैसेंजर ट्रेनों की बोगियों में यात्री चुनावी चकचक में व्यस्त नजर आ रहे हैं। बुधवार को टूंडला से कानपुर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन की लगभग हर बोगी में लोग चुनावी चर्चा में मशगूल दिखे। हर किसी की नजर बस मुद्दों पर टिकी हुई है। कोई रोजगार चाहता तो कोई राष्ट्रवाद पर निगाह लगाए है। मगर, सभी देशहित में काम करने वाली सरकार को तवज्जो देते हैं। चुनाव के महापर्व में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि देश की जनता पूरी तरह से जागरूक है, उसे चाहिए कि देश के हित में काम करने वाला व्यक्ति ही हमारा नेता होना चाहिए। यात्रियों के बीच रहकर उनके मन को टटोलती औरैया से अर्पित अवस्थी की रिपोर्ट..
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बुधवार को दोपहर 12:45 बजे का समय था। टूंडला से कानपुर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन कंचौसी रेलवे स्टेशन पर आकर रुकी। ट्रेन आते ही यात्रियों की भीड़ जनरल बोगी में जा घुसी। करीब दो तीन मिनट तक ट्रेन खड़ी हुई। भीड़ के चलते 10-15 यात्री चढ़ नहीं पाए। जो चढ़ गए, वह सीट पर काबिज हो गए। कुछ देर बाद लक्षियामऊ निवासी लोचन शुक्ल ने चुनावी चर्चा छेड़ दी। बोले- वैसे मोदी सरकार ने योजनाएं तो अच्छी चलाई हैं, हर व्यक्ति को लाभ भी मिल रहा है। यह बात पास में बैठे इंद्रपाल को सही नहीं लगी, उन्होंने कहा कि जिसका पलड़ा भारी होता है, उसी को योजना का लाभ मिलता है। उनके गांव में कई ऐसे पात्र व्यक्ति हैं, जिन्हें पांच साल बीतने के बाद भी न तो इज्जतघर मिला और न ही रहने के लिए आवास। इतने में मुस्तफा रजा ने कहा कि प्रदेश में तो बस सपा और बसपा की ही टक्कर होती है, इस बार उनका गठबंधन हो गया। यह गठबंधन सभी को पीछे छोड़कर देश को विकास की ओर अग्रसर कराएगा। टूंडला निवासी बुजुर्ग सीताराम इसी बीच बोल पड़े, बेटा चाहे सरकार कोई भी हो, हम सबको एक ही निर्णय लेना चाहिए कि जो हमारी समस्याएं समझे। उसी को मतदान करना चाहिए। करीब 60 साल का समय बीत गया, हर बार वोट डालने जाते हैं लेकिन, चुनाव के बाद कोई नेता उनके दरवाजे पर नहीं आया। कंचौसी रेलवे स्टेशन से चढ़े यात्री करुणा सिंह काफी समय से सबकी बातें सुन रहे थे। आखिरकार चुप्पी तोड़ दी और बोले, देखो इह सब नेतन की बातें होती हैं, चुनाव के समय सब नेता वोट मांगन आत हैं, जब जीत जात हैं तो जनता से किए सब वादे भूल जात हैं। अब इसी बात से पता लगा लो कि कंचौसी कस्बा औरैया और कानपुर देहात में आत है और यहीं कारण है कि अभए तक विकास नहीं होय पाय रहो है। जब कभऊ कंचौसी को एक जनपद में शामिल करन की बात होत है तो नेता आपस में लड़ जात हैं और कुछ नहीं होत है। जनरल बोगी में चुनावी चर्चा जोर पकड़ते देख सभी लोग वहीं पर खड़े हो गए और चर्चा में अपनी भी आहूति डालते नजर आए तो कई गर्मी के मौसम में झपकी मारते। लेकिन, आखिरी में निष्कर्ष यहीं निकला कि जो क्षेत्र में विकास कराए, उसी को चुना जाना चाहिए।