अच्छा स्वास्थ्य जरूरी: हल्के में न लें खांसी-जुकाम, हो सकता है निमोनिया
संवाद सहयोगी, अजीतमल: मौसम के बदलते मिजाज में लापरवाही जानलेवा तक हो सकती है। अक्सर लोग जुक
संवाद सहयोगी, अजीतमल: मौसम के बदलते मिजाज में लापरवाही जानलेवा तक हो सकती है। अक्सर लोग जुकाम और खांसी को मौसमी बदलाव की बात कहते हुए टाल देते हैं। इसे हल्के में लेने की भूल न करें, निमोनिया बनकर परेशानी बढ़ा सकती है। घोर लापरवाही पर यह सीबियर निमोनिया बनकर जानलेवा तक हो सकती है। इसके लिये शीघ्र ही चिकित्सक की सलाह से दवा लेना शुरू कर देनी चाहिये। जिले में स्थित सरकारी अस्पतालों में इस समय निमोनिया से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनसेट
कैसे होता है शरीर में असर
दिन में गर्मी और सूरज ढलते ही हल्की सर्दी लोगों को बेपरवाह कर देती है। न तो अधिक गर्म कपड़े ही पहने जा सकते हैं। आलम यह होता है कि लोग बिना गर्म कपड़ों के ही स्वयं व अपने नौनिहालों को भी इस मौसम के प्रति लापरवाह रहते हैं। धीरे-धीरे ये सर्दी शरीर में समाती रहती है। समय से उपचार न होने पर यह विशेष तौर पर पांच साल तक के बच्चों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर देती है। निमोनिया के लक्षण-
- बच्चों में पसली चलने की शिकायत हो जाती है।
- सांस लेने में तकलीफ होना शुरू हो जाती है।
- नाक से पानी आना या फिर नाक का खुष्क हो जाना।
- सांस न आने से बेचैनी हो जाना प्राथमिक लक्षण हैं।
बचाव के उपाय-
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अजीतमल के अधीक्षक डा. विमल कुमार ने बताया कि जुकाम, सर्दी, नाक का चलना, नाक खुस्क होना, सांस लेने में तकलीफ आदि को लोग अनदेखा कर देते हैं। सर्दी शुरू होते ही अपने बच्चों को गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दें। खुले में लेटना बन्द कर दें। हल्की धूप में कुछ देर बैठें। गुनगुना पानी ही पियें। साथ ही नहाने के लिये भी गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें। गर्म कपड़ों से बच्चों को ढ़क कर रखें। जितनी जल्दी हो सके नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा देना शुरू कर दें। बरतें सावधानियां
इस रोग के लिये बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है। खुले में सोना बंद कर दें। गर्म कपड़े पहनना शुरू कर दें। गर्म पानी का उपयोग करना शुरू कर दें। दिक्कत होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में लेकर डाक्टर से परामर्श जरूर लें।