अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की छठ पूजा
जागरण संवाददाता, औरैया : छठ सूर्य उपासना का महान व्रत है। सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं। श्
जागरण संवाददाता, औरैया : छठ सूर्य उपासना का महान व्रत है। सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार उदया मानव व अस्तगामी सूर्य की उपासना व आराधना करने से संपूर्ण सुख व संपदा की प्राप्ति होती है। यह पर्व बिहार, पूर्वांचल, झारखंड में सदियों से मनाया जा रहा है। धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब आदि प्रदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा है।
छठ पर्व कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाएं चौथ से ही विधान शुरू करती हैं। शहर के दिबियापुर रोड स्थित नहर के समीप लोगों ने छठ पर्व धूमधाम से मनाया। इसमें मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतबल यादव के घर पर छठ मैया की पूजा अर्चना विधि विधान से की गई। इनके आवास पर व्रत रखने वाली महिलाएं व पुरुष पहुंचे। फल, मेवा, मिष्ठान से पूजा अर्चना की गई। इसमें विशेष प्रकार का पकवान ठेकुआ बनाया जाता है। इसके उपरांत सभी ने सामूहिक रूप से छत पर बनाए गए कुंड में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसमें संतोष यादव, गौरव, अनिल, प्रीती यादव, सहोदरा, संजय ¨सह, नलिन ¨सह, प्रिया तिवारी, गोल्डी, शारदा, श्यामा देवी आदि श्रद्धालु शामिल हुए।
संवाद सूत्र दिबियापुर के अनुसार मंगलवार को छठ पूजा के तीसरे दिन निजली गंग नहर व गेल गांव के तरणताल में महिलाओं ने डूबते सूर्य को मंगलगीतों व डीजे की धुनों पर दीपक जला अर्घ्य दिया। चार दिवसीय चलने वाली छठ पूजा में बुधवार को अंतिम दिन उगते हुये सूर्य को जल देकर महिलाएं व्रत का पारण करेंगी।