बूढ़ादाना में शुरू हुई एलोवेरा की खेती
जागरण संवाददाता, औरैया: जिले में पहली बार भाग्य नगर ब्लाक के बूढ़ादाना गांव के राजेंद्र बह
जागरण संवाददाता, औरैया: जिले में पहली बार भाग्य नगर ब्लाक के बूढ़ादाना गांव के राजेंद्र बहादुर ने उद्यान विभाग से संपर्क कर पूर्णतया वैज्ञानिक तरीके से एलोवेरा की खेती शुरू की है। इस किसान ने परंपरागत खेती छोड़ जड़ी-बूटी की खेती का मन बनाया है। जिसके बाद से उद्यान विभाग ने उनसे संपर्क कर शासन द्वारा दिए जाने वाले अनुदान से भी लाभांवित कराया है। मुख्य बात यह है कि यह खेती किसान ड्रिप के माध्यम से कर रहा है। जिससे पर्यावरण को भी लाभ के साथ पानी की बर्बादी नहीं होगी। उसने एलोवेरा एक एकड़ में लगाया है। जिसको देखने के लिए लोग अन्य जिलों से आ रहे हैं। खेती बर्बाद न हो इसके लिए खेत के चारो तरफ बेहतरीन सुरक्षा कर रखी है। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि किसान द्वारा पल्प (गूदा) निकालकर बेचने पर 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा होता है। किसानों से कंपनियां सीधे भी पल्प और पत्तियां खरीदती हैं। एलोवेरा की प्रोसे¨सग यूनिट लगाने के लिए सी मैप में ट्रे¨नग दी जाती है। एक एकड़ में करीब 16 हजार पौधे लगते हैं। फिलहाल इसके पौधे लखनऊ के सीमैप से दिए जाते हैं। साथ ही खेती करने की ट्रे¨नग भी वहीं दी जाती है। 90 फीसद का मिलता है अनुदान
हालांकि औषधि पौध मिशन जनपद में संचालित नहीं है। बावजूद इसके जिले में एक किसान ने इसकी खेती शुरू की है। विभाग इसको लेकर लगातार शासन को पत्र भेज रहा है। संभवत: अगले वित्तीय वर्ष में शासन अनुदान देना शुरू कर दे। लेकिन अधिकारी बताते हैं कि ड्रिप में 90 फीसद का अनुदान दे रही है। जिससे फसल में उपज सामान्य की अपेक्षा बढ़ जाती है। पांच से सात लाख की हो सकती है आमदनी
इसकी फसल फरवरी के माह में की जाती है। एक बार लगाने के बाद यह चार से पांच साल तक चलती है। पहली कटाई दस से 15 माह के बीच की जाती है। फिर हर डेढ़ माह में क¨टग की जाती है। अगर मौसम गर्मी का है तो पंद्रह दिन में एक बार पानी जरूर दें। एक एकड़ खेती में आसानी से 5 से 6 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाए जा सकते हैं। इस पर अभी तक किसी खास रोग का प्रभाव सामने नहीं आया है। यह हैं सावधानियां
- 8 से 15 महीने के बीच पहली कटाई जरूर करें
- कभी न लगाएं कटाई के बाद एलोवेरा की पत्तियों का ढेर
- जलभराव वाले इलाकों में न करें खेती क्या कहते हैं जिम्मेदार
फिलहाल जड़ी-बूटी के लिए शासन ने जिले में कोई योजना नहीं दे रखी है। विभाग लगातार पत्राचार कर रहा है। जल्द ही योजना मिल सकती है। अनूप कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी