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वेस्ट डी कंपोजर बना सौगात, दिलाएगा पराली से निजात

-------- जागरण संवाददाता, औरैया जिले के किसान अब पराली जलाकर प्रदूषण बढ़ाने के गुनहगार नही

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 07:53 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 07:53 PM (IST)
वेस्ट डी कंपोजर बना सौगात, दिलाएगा पराली से निजात
वेस्ट डी कंपोजर बना सौगात, दिलाएगा पराली से निजात

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जागरण संवाददाता, औरैया

जिले के किसान अब पराली जलाकर प्रदूषण बढ़ाने के गुनहगार नहीं बनेंगे। उन्हें सौगात के रूप में महज 20 रुपये में वेस्ट डी कंपोजर मिला है जो खेतों में डालने के बाद न सिर्फ पराली को खत्म करेगा बल्कि धरती को भी सेहतमंद बनाएगा। राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद द्वारा तैयार इस तोहफे को कृषि वैज्ञानिक केंद्र परवाहा ने मंगवाकर 62 किसानों को इस्तेमाल के लिए वितरित किया है।

क्यों पड़ी जरूरत

दरअसल जिले में पिछले साल पराली जलाने के मामले में 33 किसानों को नोटिस दी गई थी। वह खेत में बचे अवशेष को जला रहे थे। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ था।

फसलों को नुकसान करती पराली

कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार ¨सह बताते हैं कि सामान्य खेतों में उर्वरक डालने के बाद पराली पोषक तत्वों को खत्म कर देता है। इससे उपज कमजोर होती है।

खोज बनी वरदान, किसान की मददगार

विशेषज्ञों के मुताबिक राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद में वेस्ट डी कंपोजर गाय के गोबर व पत्तियों के जीवाणुओं से तैयार किया गया है। इसमें ऐसे तत्व हैं जो पराली को खाद में बदल देते हैं। इसके प्रयोग से पोषक तत्व सीधे फसल में जाते है। मृदा शक्ति के साथ-साथ उपज को भी बढ़ाते हैं। डीएपी, यूरिया को मिंट्टी में मिलने में 60 से 90 दिन लग जाते हैं पर यह महज 45 दिन में मिल जाता है। यह आम बाजार में उपलब्ध नहीं है। गाजियाबाद से मंगवाकर 62 किसानों से खेतों में प्रयोग कराया है। इससे किसानों की पराली जलाने की समस्या दूर हो जाएगी।

कैसे करें प्रयोग

एक शीशी में सौ मिली. वेस्ट डी कंपोजर आता है, वैसे एक लीटर की बोतल में भी यह उपलब्ध है। 20 रुपये में सौ मिली. मिलने वाले वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव एक एकड़ में किया जाता है। खास बात यह है कि इसको अंतिम जुताई के पहले डाला जाता है और ऊपर से जुताई करते समय छिड़काव कर दें। इसका प्रयोग पानी या वर्मी कंपोस्ट में किया जाता है। इस पर सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए।

खुद भी मंगवा सकते

किसान को राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद के नाम डीडी बनवाकर भेजना होता है। इसके बाद वहां से डाक से यह वेस्ट डी-कंपोजर भेजा जाता है।

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अभी इसे किसानों को इस्तेमाल के लिए दिया गया है, अगर इसका प्रयास सफल रहा तो इसे किसानों को सहज सुलभ कराया जाएगा।

आवेश कुमार ¨सह, जिला कृषि अधिकारी


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