..मैं सोचने लगूं तो मदीना दिखाई दे
जागरण संवाददाता, अमरोहा: महफिल-ए-नूर के दूसरे दिन हुसैनी हॉल में नूरानियत का रंग भरा रहा। शायरों ने पैगम्बरे इस्लाम की शान में कलाम सुनाकर श्रोताओं की खूब वाह-वाही हासिल की।
अमरोहा: महफिल-ए-नूर के दूसरे दिन हुसैनी हॉल में नूरानियत का रंग भरा रहा। शायरों ने पैगम्बरे इस्लाम की शान में कलाम सुनाकर श्रोताओं की वाह- वाही हासिल की। शोहदा-ए-कर्बला की याद में जंजीर का मातम करके सोशल मीडिया पर सुर्खिया बने लखनऊ के स्वामी सारंग ने रसूले खुदा के नक्शेकदम पर चलने का आह्वान किया।
अख्तर अब्बास अप्पू व बिरादरान की ओर से मुहल्ला शफातपोता स्थित हुसैनी हॉल में आयोजित दो दिवसीय महफिल-ए-नूर के दूसरे दौर की शुरूआत मंगलवार रात मौलाना मिकदाद हुसैन ने कलामे रब्बानी से की। बतौर मेहमाने खुसूसी स्वामी सारंग ने महफिल में शिरकत करके अकीदत का इजहार किया। महफिल की शुरूआत करते हुए डॉ. शमशुल हसन ने कहा-हाथ फैलाते नहीं हम किसी के सामने, अपनी हाजित ले के जाते हैं नबी के सामने। महेंद्र कुमार अश्क ने अकीदत यूं पिरोई-अल्लाह मेरी फिक्र को इतनी रसाई दे, मैं सोचने लगूं तो मदीना दिखाई दे।
हुमायूं हैदर ने पढ़ा-अपने दिल से उनकी यादों को जुदा होने न दो, ये नमाजे इश्क है इस को कजा होने न दो। अरशी वास्ती ने यूं कहा-समझो नबी को सूरा-ए-रहमान देखकर, तफसीर लिख दो बोलता कुरान देखकर। खादिम शब्बीर नसीराबादी ने पढ़ा-वो तो कहिए दो कमानों के फासले पर रुक गई, वरना इससे भी थी आगे हद तेरे इमकान की।
इनके अलावा हैदर किरतपुरी, जाहिद नौगांवी, मौलाना साद अमरोहवी, असलम बकाई, अफजाल अमरोहवी, शादाब अमरोहवी, सामी अमरोहवी, नायाब मुज्तबा, शहंशाह बिजनौरी, डॉ.शफाअत फहीम, रफी सिरसिवी, शौक अमरोहवी व अर्श अमरोहवी ने अपना-अपना कलाम पेश किया। अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी के सदर हसन शुजा नकवी ने भी महफिल में शिरकत की। अध्यक्षता शमशुल हसन फैजाबादी ने की तथा संचालन अरशी वास्ती ने किया।
इससे पूर्व अमीर हैदर ने शमा रौशन करके नूरानी महफिल का आगाज किया। मौलाना शहवार हुसैन ने सीरते नबवी पर रौशनी डालते हुए खुसूसी दुआ कराई। इस दौरान अख्तर अब्बास अप्पू, अफजाल मुनाजिर, अमीर हैदर, मोहम्मद हैदर, अथर मुनाजिर, तुफैल हैदर, सुहैल हैदर, मोहम्मद अब्बास व हैदर अब्बास वगैरह मौजूद रहे। कन्वीनर हुमायूं हैदर ने आभार व्यक्त किया।